प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भ्रष्टाचार से निपटने के लिए सरकार को अपने ढांचे में बड़ा परिवर्तन करने की ज़रूरत है. डॉक्टर सिंह ने कहा कि, “इसके लिए सरकार को फ़ैसले लेने की अपनी स्वतंत्रता को कम करना होगा और फ़ैसले लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी.” उनका कहना था कि बड़े सरकारी ठेकों के आवंटन में अगर पारदर्शिता नहीं हो तो उस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की संभावना बढ़ जाती है. ख़ास तौर पर जब वे भूमि, खनिज पदार्थों और स्पेक्ट्रम जैसे संसाधन से जुड़े हों. ऐसा केन्द्र और राज्य सरकारों दोनों के स्तर पर होता है. साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि लघु स्तर पर सरकारी योजनाओं को लागू करने वाले लोग भी धांधली करते हैं. प्रधानमंत्री कोलकाता में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) की स्वर्ण जयंती पर आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार देश के नैतिक आधार को ही कमज़ोर नहीं करता बल्कि अक्षमता बढ़ाकर भारतीय अर्थव्यवस्था की साख पर भी असर डालता है. इसलिए देश के विकास के लिए भ्रष्टाचार को हटाना सबसे ज़रूरी है.
सिर्फ़ लोकपाल काफ़ी नहीं
प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकपाल जैसी संस्था बनाने से फायदा ज़रूर होगा लेकिन ये मसले का हल नहीं. इसके साथ न्यापालिका में सुधार की ज़रूरत है ताकि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को अहसास हो कि वे बच नहीं सकते. उन्होंने ये भी माना कि पिछले कई विवादों के पीछे नियंत्रक एजेंसियों की ख़ामियाँ रही हैं. उन्हें और मज़बूत बनाने की ज़रूरत है. साथ ही उन्होंने राजनीतिक पार्टियों और चुनाव में किए जाने वाले ख़र्च में सुधार लाने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि काले धन पर रोक लगाई जा सके.
“इसके लिए सरकार को फ़ैसले लेने की अपनी स्वतंत्रता को कम करना होगा और फ़ैसले लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी.”
“प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह“
प्रधानमंत्री ने बताया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने एक मंत्रियों के समूह का गठन किया है और उन्हें उम्मीद है कि वो सरकारी ढांचे में मूलभूत बदलाव के सुझाव पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि कई देशों में सरकारी ख़रीद पर नियंत्रण रखने के लिए क़ानून बनाए गए हैं, जिनकी तर्ज पर हमारी सरकार भी क़ानून लाएगी. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने भी सरकारी ख़रीद के नियमों में संशोधन किया है और भारत में केन्द्र और राज्य सरकारों को इन्हें अपनाना चाहिए.
प्रधानमंत्री का कहना था कि लोकपाल विधेयक का एक मसौदा संसद की स्थाई समिति के सामने पेश किया जा चुका है और इस पर लोगों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस मुद्दे पर एक बहस के लिए तैयार है. राज्य सभा के सदस्य अभिषेक मनु सिंघवी की अध्यक्षता में इस स्थाई समिति के सदस्यों में कांग्रेस से मनीष तिवारी, भारतीय जनता पार्टी से हरिन पाठक, लोक जन-शक्ति पार्टी से रामविलास पासवान, राष्ट्रीय जनता दल से लालू प्रसाद यादव के अलावा किरोड़ी लाल मीणा, अमर सिंह और राम जेठमलानी शामिल हैं. इस समिति के पास विधेयक में कोई भी संशोधन का प्रस्ताव रखने का अधिकार