उदयपुर, भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक किरण माहेश्वरी नें उदयपुर के निर्माण निषेध क्षेत्र को लेकर राज्य सरकार और प्रशासन पर जनता को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण में सरकार निष्क्रियता की दोषी है और प्रशासन संवेदन हीन है। कोई भी निर्धन और मध्यम वर्ग को हो रही पीडा एवं वेदना को समझना ही नहीं चाह रहे हैं।
प्रवक्ता अनिल चतुर्वेदी नें बताया कि किरण मृगेन्द्र भारती द्वारा आयोजित निर्माण निषेध और सामान्य जन के मौलिक अधिकार विषयक चर्चा में बोल रही थी। किरण नें कहा कि उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वर्ष २००० में नगर विकास न्यास द्वारा बनाए गए भवन निर्माण उपनियमों का अभी तक भी राजपत्र में प्रकाशन ही नहीं हुआ है। उच्च न्यायालय नें अपने निर्णयों में जनता के सम्मान पूर्वक जीवन और सम्पदा के मौलिक अधिकारों की भारी अवहेलना की है। प्रभावित पक्षकारों को अपना पक्ष रखने का कोई अवसर ही नहीं दिया गया। यह नैसर्गिक न्याय और साम्यता के सुस्थापित सिद्घान्तों की घोर अवहेलना है।
किरण नें कहा कि न्यायालय के निर्णयों में यह कहीं भी उल्लेख नहीं है कि वह निर्माण निषेध की अवधारणा किस विधि की किस धारा में लागु कर रहा है। नहीं राज्य सरकार, नगर विकास प्रन्यास और नगर परिषद् नें इस बात पर किसी भी स्तर पर कोई आपत्ति व्यक्त की कि न्यायालय कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में अवांछित हस्तक्षेप कर रहा है। न्यायालय नें अपने एक संबंधित निर्णय में कहा कि पर्यावरण एवं विकास के मध्य संतुलन रखना होगा क्योंकि प्रत्येक विकास पर्यावरण को कुछ न कुछ क्षति पंहुचाता है। पर केवल इसी कारण से विकास को रोका नहीं जा सकता। इसी आधार पर न्यायालय नें होटल समुहों को निर्माण अनुमति दे दी। अब आवासीय मकानों पर पूर्ण रोक निर्णय में गंभीर त्रुटि ही दिखाता है।
किरण नें बताया कि उन्होंने जून २०१२ में ही राज्य सरकार से निर्माण निषेध क्षेत्र को लेकर जनता को हो रही पीडा के संबंध में प्रश्न पुछा था। सरकार नें अभी तक इसका कोई भी उत्तर नहीं दिया है। सरकार नगर निकायों के अधिनियमों के अन्तर्गत अधिसूचना जारी करके अब तक बसी हुई सभी कॉलोनियों एवं बस्तियों को निर्माण निषेध से मुक्त कर सकती है। जयपुर में ऐसा ही किया गया है। यही इस समस्या का सरल एवं सहज समाधान है।