संभागीय आयुक्त के आदेश पुलिस के लिए बने ’’चांदी की टकसाल’’

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उदयपुर, संभागीय आयुक्त द्वारा गत दिनों जारी फतहसागर की बंसियों के निकट पार्किंग निषेध के आदेश ने पुलिसकर्मियों के लिए ’’चांदी की टकसाल’’ खोल दी है। आदेश की आड में पुलिसकर्मी पफतहसागर के मुख्य छोर की ओर तीन स्थानों पर खडे होकर दो पहिया वाहन चालकों से अवैध वसूली कर रहे है।

उल्लेखनीय है कि संभागीय आयुक्त सुबोध अग्रवाल ने गत दिनों फतहसागर का नैसॢगक सौन्दर्य बनाए रखने के लिए झील किनारे पार्किंग व्यवस्था, सफाई व्यवस्था आदि में सुधार के निर्देश जारी किए थे। आदेश का प्रभाव भी सकारात्मक रहा और झील के किनारों पर सफाई व्यवस्था मे आंशिक सुधार आया। लेकिन इन आदेशों का पुलिस विभाग ने दुरूपयोग आंरभ किया। सुकून की चाहत में प्रकृति के समीप आने वाले सैलानियों एवं स्थानिय नागरिकों को पुलिस ने भय दिखा कर कथित रूप से ’’लूटना’’ आंरभ कर दिया। ’’खाकी’’ का डर और समय की कीमत को देखते हुए ’’खाकी’’ की इस कथित अवैध वसूली का कोई खुल कर विरोध नहीं कर पा रहा है और यह विवशता खाकी के लिए चांदी की टकसाल बन गई है।

चित्तौ$ड से आये ओम शर्मा बताते है की मेने अपनी मोटर साइकिल गलती से बन्सियों के पास की तभी ट्राफिक पुलिस के दो सिपाही आये और बिना कुछ सुने सीधे अपशब्द कहते हुए चालन बनाने लगे जब की मे अपनी बाइक वहां से हटा चूका था लेकिन वे नहीं माने आखिर कार उन्हें १०० रूपये दे कर पिछा छुडाना पडा । इसीतरह हिरन मगरी निवासी विश्वाश चोपडा अपनी पत्नी के साथ फतह सागर पर शाम को ठंडी अवा लेने पहुचे और यह हवा उन्हें ५०० रूपये में पडी गलती उनकी सिर्फ इतनी थी की जब तक उनकी पत्नी आइसक्रीम लेकर आती तब तक पुलिस कर्मियों ने उनके चालान काटने और गा$डी जब्त करने की कवायद शुरू करदी उन्हें भी आखिर कार ५०० रूपये देकर अपनी और अपनी गा$डी की जान बचानी पडी । इसे कई उदाहरण है ।

 

शाम होते ही ट्राफिक पुलिस और हाथीपोल पुलिस के जवान फतहसागर के एक छोर से दूसरे छोर तक तीन जगह ख$डे रहते है एक तो फतहसागर के कोने पर दूसरा मुम्बैया मार्केट और तीसरा मोतीमगरी या फिर काले किंवा$ड के पास और यहां ज्यादातर युवाओं द्वारा तेज बाइक चलने या कही गलत पार्किंग करने या फिर खडे होकर हंसी ठिठोली करने वालों को चालान बनाने का भय दिखा कर १०० से ३०० रूपये वसूले जा रहे है और चार पहिया वाहनों से ५०० रूपये वसूले जा रही है । वहां मालिक की तो कुछ सफाई सुनी ही नहीं जाती न ही उन्हें गलत जगह पार्किंग हटाने का मोका दिया जाता है बस सीधा चलन के ऊपर पेन चले लगता है वहां मालिक चालान के भय से अपना वहां जब्त होने के भय से १०० से ६०० रूपये तक रिश्वत दे कर अपनी जान छुडाता है ।

 

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