उदयपुर, राज्य सरकार की शिक्षा मंत्रालय व पीटीईटी की अकर्मण्यता के चलते बीएड छात्रों एवं महाविद्यालय संचालको को आर्थिक संकट से जूझना पड रहा है। यह बात उदयपुर संभागीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय संगठन के अध्यक्ष दिनेश माली ने बुधवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने ·हा की राज्य के ७१८ बीएड कालेज में से ५ महाविद्यालय को छोड सभी स्ववित्तपोषित है। जिनमें ९०,००० छात्र बीएड करते है। सरकार व मंत्रालय की दोहरी नीतियों के चलते छात्र व महाविद्यालय संचालक आर्थिक संकट से जूझ् रहे है। माली ने कहा की एनसीईटी नियमानुसार हर तीन वर्ष में फीस का निर्धारण होता है, सरकार ने इंजीनियरिंग, एमबीए सहित विभिन्न कोर्स की फीसों को पुननिर्धारण किया लेकीन ५ वर्षों में बीएड कोलेजों का नहीं किया और न ही इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के भास्कर सावंत की अध्यक्षता में गठित रिपोर्ट को लागू किया, वर्ष २०१०-१२ पढ रहे, पढ चुके छात्रों कि फीस नहीं देने, २०११-१२ व रित्त* ७८०० सीटों कि चॉइस आधार पर प्रवेश सूची जारी नहीं ·रने से छात्रों को बीएड के लिए अन्य राज्यों कि तरफ पलायन करना पड रहा है तथा महाविद्यालयों को आर्थिक संकट से जूझना पड रहा है। सरकार अकर्मण्यता के चलते संभाग के ७८ बीएड महाविद्यालयों में अभी भी दो हजार सीटें रित्त* पडी है। संगठन ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से स्व वित्त पोषित महाविद्यालयों को आर्थिक संकट से उबारने तथा राज्य के बाहर जाने वाले बीएड छात्रों को रकने के लिए इस मामले में हस्तक्षेप कर मेनेजमेंट कोर्स सीट देने, फीस पुनर्निधारण करने, भास्कर सावंत कि रिपोर्ट लागू करने एवं एक मुश्त फीस भुगतान कराने कि मांग कि। ऐसा नहीं करने पर न्यायालय कि शरण में जाने कि बात कही।
शिक्षा मंत्रालय की लापरवाही से आर्थिक संकट से जूझ रहे है बीएड कालेज के संचालक
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