सम्पादकीय – मोहम्मद हुसैन
महंगाई रूपी दानव ने आम नागरिक का जीना मुश्किल कर रखा है , हर कोई इससे त्रस्त है | विशेष रूप से वह परिवार जिन्हें एक निश्चित आय में अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करना है या वे परिवार जो की प्रतिदिन कमाते हैं और उससे अपनी आजीविका चलाते हैं |
कभी लगातार बारिश होने से अचानक सब्जियों के दाम आसमान छूने लगते हैं तो कभी बारिश की कमी के चलते हर चीज़ के दाम बढ़ जाते हैं | अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी होते ही हमारे देश में पेट्रोलियम पदार्थ जैसे पट्रोल , डीज़ल के दामों में वृद्धि हो जाती है और पेट्रोल व डीज़ल के दाम बढ़ते ही महंगाई बाढ़ के रूप में सामने आ जाती है | हर चीज के दाम बढ़ने लग जातेहैं | आम नागरिक असहाय होकर इसे सहने को मजबूर हो जाता है |
राज्य में बिजली की दरों में वृद्धि की संभावना व्यक्त की जा रही है शीघ्र ही विद्युत वितरण निगम द्वारा विद्युत दरें बढाए जाने से आम नागरिको का चिंतित होना स्वाभाविक है | वर्तमान समय में विद्धुत का उपयोग मात्र प्रकाश के लिए ही सीमित नहीं रह गया है | दैनिक आवश्यकताओं में विद्युत की महत्ता सर्व विदित है | ए सी , टी वी , फ्रीज़ , प्रेस से लेकर मोबाइल चार्जर तक में विद्युत का उपयोग व उपभोग किया जा रहा है | ऐसे में विद्युत उपयोग को सीमित करना , घर के बजट को नियंत्रित कर सकना असंभव सा है | ऐसी स्थिति में विद्युत दरों में बढ़ोतरी से प्रत्येक परिवार प्रभावित होगा , हर परिवार को विद्युत का नहीं अपितु विद्युत बिल का झटका लगने को है | और इतना होने पर भी हमारे मुंह से आह तक न निकलेगी यह और भी आश्चर्यजनक है | जिस तरह से हम भ्रष्टाचार सहने के आदि हो गए हैं इसी प्रकार महंगाई सहने के भी हम आदि होते जा रहे हैं | तब ही तो जब भी किसी भी वस्तु के दाम बढे या डीजल , पेट्रोल के दाम बढे या विद्युत दरें बढे , हम चुपचाप सहन करते चले जाते हैं | ऐसा प्रतीत होता है जैसे विरोध करने कि क्षमता को महंगाई रुपी बीमारी ने समाप्त सा कर दिया है |
लोक कल्याणकारी राज्य कि स्थापना का दावा करने वाली सरकारें महंगाई को बढ़ावा देने वाली नीतियां अपनाकर व बढती महंगाई से आँखें मूंदकर आम नागरिकों के जीवन से किस प्रकार खिलवाड़ कर रही है यह एक विचारणीय प्रश्न है |