उदयपुर, श्री जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज ने पर्यूषण महापर्व के पांचवे दिन भगवान महावीर स्वामी का जन्मवांचन महोत्सव धुमधाम से मनाया गया। भगवान के जन्म पर सभी ने एक दूसरे के कुम-कुम के थापे लगाकर मिश्री व गोला खिलाकर गले मिल कर बधाईयां दी।
श्री जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक श्रीसंघ के तत्वावधान में आचार्य दर्शन रत्न एवं गणिवर्य भावेश रत्न विजय जी की निश्रा में पर्यूषण महापर्व के पांचवे दिन माता त्रिशला को आये चौदह सपनों का प्रदर्शन किया गया। श्रीसंघ के मंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि चोदह स्वप्न हाथी, वृषभ(बेल), सिंह, लक्ष्मीजी, माला, सूर्य, चंद्र, मंगल कलश ,ध्वजा, जहाज, पद्मसरोवर, देव विमान, रत्नों की राशी, अग्नि शिखा का प्रदर्शन कर हजारों श्रावक श्राविकाओं को दर्शन कराये और इनके च$ढावे बोले गये। इस दौरान संगितकार द्वारा प्रभू भत्ति* गीतों से माहोल को भत्ति*मय बना दिया। श्रीसंघ के अध्यक्ष गोतम बी मुर्डिया,मंत्री कुलदीप नाहर एवं अंकुर मुर्डिया ने च$ढावे बोले। भगवान का मुनिम बनने का लाभ समाज रत्न किरणमल सावनसुखा ने लिया। इसके बाद १४ स्वप्नों की बोलियां हुई। बोलियों के पश्चात शुभ मुहुर्त में आचार्य दर्शन रत्न ने भगवान का जन्मवांचन किया तत्पश्चात पूरे परिसर में मौजूद हजारो श्रावक श्राविकाओं की मौजूदगी में भगवान को चांदी के पल्ले में विराजमान किया। चारों तरप* से चांवल की वर्षा हुई एवं भगवान के जयकारों से वातावरण को गुंजायमान कर दिया। नीति जैन नवयुवक बैण्ड मंडल ने $ढोल नंगा$डों से वातावरण को गुजायमान किया बैण्ड की धुन पर श्रावक श्राविकाएं झुम उठे। सभी ने एक दूसरे को कुम कुम के थापे लगाये और गोले व मिश्री खिलाकर मुंह मीठा करा एक दूसरे को गले मिलकर भगवान के जन्म दिन की बधाईयां दी। तत्पश्चात भगवान का पालना बोली लेने वाले श्रावक के घर गाजे-बाजे के साथ ले जाया गया। श्रीसंघ के सहमंत्री संजय खाब्या ने बताया कि समारों में ज्योतिषाचार्य कांतिलाल जैन सकल समाज ने बहुमान किया। इन च$ढावों से हुई आय का मेवा$ड के जैन मंदिरों के जिर्णोद्वार पर व्यय किया जाएगा।
संघ के प्रवत्त*ा रविप्रकाश देरासरिया ने बताया कि इसी तरह श्रीजैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक थोब की वा$डी,हिरणमगरी सेक्टर४ स्थित जैन मंदिर, मानबाई मुर्डिया भवन सेक्टर १३ एवं रात्रि में तपोगच्छ की उदगम स्थली आय$ड मंदिर पर चोदह स्वप्नों को कार्यक्रम धूम धाम से आयोजित किया गया। आज सभी को गोले व मिश्री की प्रभावना वितरित की गई। सभी मंदिरों में भगवान की आकर्षक अंग रचना की गई। आज घरों में विषेश रूप से खीर पू$डी के व्यंजन बनाये गये।