नमस्कार, मै हूँ आतंकवाद
दोस्तों, सड़क से लेकर संसद तक और मंदिर से लेकर मस्जिद तक अपनी कार्यकुशलता का प्रमाण दिया हे,जिससे आप सभी भारत वासी मेरा नाम आतंकवाद और काम धमाका से वाकिफ होंगे |
देखिये में भी आप की तरह एक भोला-भाला, सीधा-साधा इन्सान हूँ,मेरी कोई जाती नहीं, मेरा कोई धर्म-ईमान नहीं, और न ही इस दुनिया मे मेरा कोई दोस्त या दुश्मन हे | मुझे तो मेरे जीने का मकसद और मंजिल का पता भी नहीं , मेरे दिमाग में तो सिर्फ नफरत के अंगारे और दिल में बदले की आग भरी गयी हे , जिसे शांत करने के लिए मुझे भारत की धरती पर भेजा जाता हे |
आपके भारत की सरकार मेरे बारे में अच्छी तरह से सबकुछ जानती हे कि भारत की धरती पर मुझे किसने और क्यूँ भेजा हे, मुझे इस काम का प्रशिक्षण किसने और कहाँ दिया हे और मेरा खर्च कौन वहन करता हे लेकिन फिर भी भारत की सरकार मोन रहती हे और मेरा विरोध नहीं करती |
यह सत्य हे की भारत की जनता मेरे नाम से डरती हे , लेकिन में आप को बता देना चाहता हूँ कि मै एक कायर और डरपोक इंसान हूँ इसीलिए तो में चोरी छिपे अपने काम को अंजाम देता हु और कई बार तो अंजाम देने के बाद पकडे जाने के डर से अपने आप को भी वहीँ पर समाप्त कर देता हूँ |
मुझे भारत में जहाँ भी अपने काम को अंजाम देने का आदेश मिलता हे में वहां जाता हूँ और कुछ ही दिन में योजना पूर्वक वहां के भोले-भाले लोगों को अपना दोस्त बना लेता हूँ या किसी को लालच देकर या मजहब के नाम पर उन्हें अपने साथ जोड़ लेता हूँ , फिर क्या उनके शहर में, उनकी ही मदद से धमाका कर देता हूँ |
धमाका होते ही वहां अफरा-तफरी मच जाती हे, सायरन बजते हे, पुलिस आती हे, जनता इधर उधर दोड़ती हे, इतने में फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस आजाती हे | भारी शोर-शराबे और भगदड़ के बिच घायलों को बकरे की तरह एम्बुलेंस में भर कर अस्पताल पहुंचाते हे उसके बाद चारों तरफ पुलिस का घेरा और घटना स्थल सीज | इतने में ही एक तरफ से दो तिन पुलिस वाले कुत्ते बिल्ली लाते हे जो इधर उधर घूमते हे और सूंघते हे तो दूसरी तरफ फोटोग्रफाए फोटो खींचते हे तो कुछ अधिकारी लोगों से पूछ-ताछ करते हे तो कोई कचरे के ढेर में मेटल की छड़ी को घुमाते हे , और ऐसे तलाशते हे मुझे, जेसे में वहीँ कहीं छिपा बेठा हूँ |
इतने में सनसनाती लाल बत्ती की गाड़ियाँ आती हे, उसमे से सफ़ेद पोश मंत्री-संत्री उतरते हे, मोके का जायजा और जानकारी लेते हे और फिर सरकार द्वारा मृतकों और घायलों को मुआवजा देने और धमाके की उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनाने की घोषणा करते हे साथ ही दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने का आश्वाशन भी देते हे और वहां से अस्पताल की और ऐसे भागते हे जेसे इन्हें ही अस्पताल जा कर घायलों का इलाज करना हो| इनके भागते ही मोके पर विपक्ष के नेता लोग आते हे और धमाके को लेकर सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा देते हे जेसे की अगर वह सत्ता में होते तो धमाका होता ही नहीं |
अरे हाँ, में तो बताना ही भूल गया की भारत का जिम्मेदार मिडिया भी तुरंत मोके पर पहुँचता हे और वहां हो रही अफरा-तफरी, दोड़ती गाड़ियाँ, भागती पुलिस, भागते लोग, खून से सनी सड़के और घायलों की मार्मिक एवं डरावनी तस्वीरों व क्षत-विक्षत शव की तस्वीरों का मोके से आँखों देखे हाल का चिल्ला-चिल्ला कर सीधा प्रसारण करता हे और भारत का मिडिया यह साबित करता हे की इनकी सरकार और ख़ुफ़िया तंत्र पूर्ण नकारा हे और वह मेरे धमाके के खोफ को भारत के गाँव-गाँव तक पहुंचा कर मिडिया मेरा मकसद भी पूरा करता हे मगर अपने चेनल को खबर के प्रसारण में न. १ बनाने के लिए पुलिस के अग्रिम कदम की जानकारी भी मुझे समय-समय पर देता रहता हे |
धीरे धीरे जनजीवन सामान्य होने लगता हे और वेसे भी भारत में एक चरितार्थ कहावत हे नयी बात नो दिन और खेंच तान तेरह दिन, बस फिर हालात जस के तस |
अब आप ही बताओ इस अँधेरी नगरी और चोपट राज में मेरे जेसा गीदड़ अपने आप को शेर क्यूँ नहीं माने |
आप को मेरे मन का दर्द बता दूँ –मेने आज तक कई बेगुनाहों का सुहाग छीना हे, कोख उजाड़ी हे, सर से साया हटाया हे और कईयों को अपाहिज किया फिर भी भारत की पुलिस, ख़ुफ़िया तंत्र और सरकार मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकी | सच्चाई यह हे के पहल तो धमाके के बाद मुझे पकड़ ही नहीं पाते और भारत के किसी राष्ट्र भक्त ने गलती से मुझे पकड़ लिया तो भी सरकार मुझे अपना दामाद मान कर जेल में रखती हे और लोकतंत्र के नाम पर कई सालो तक मुझपर मुकदमा चलता हे, तब तक मेरे साथी भारत के किसी नेता की बेटी का अपहरण करके या किसी प्लेन को हाईजेक करके सरकार के साथ सोदा करते हे और मुझे छुड़ा लेते हे| और अगर मेरे साथी किसी भी तरह मुझे नहीं छुडा पाए और मुझे फांसी की सजा हो जाये तो भी डर की बात नहीं हे क्योंकी भारत में धर्म और जाती या क्षेत्रीयता के वोट की आड़ में भारत के लोकतंत्र की मजबूत कड़ियाँ ही मेरी सजा माफ़ी में मेरा सहयोग करती हे और उसी समय भारत पर दबाव बनाने के लिए मेरे साथी एक और धमाका कर देते हे |
आप को एक राज की बात बता दू की भारत के अलावा अन्य किसी देश में धमाका करने से मुझे डर लगता हे क्यूँ की वहां की जनता और सरकार में बदले की भावना कूट-कूट कर भरी हुई हे और वह इस के लिए मुझे या मेरे मुखिया को मार कर ही दम लेते हे |
लेकिन भारत की जनता बड़ी दयालु हे, सहिष्णु हे, लेकिन सत्ता-लोलुप और लालची भी हे |
खेर जो भी हे भारत बड़ा महान हे
अतिथी संपादक – अनिल सिंघल
zordar, dhamakedar shuruwat he editorials ki.