उदयपुर, नगर परिषद में बैठे जनप्रतिनिधि ओर अधिकारी को जनहितों का तो ख्याल है नहीं साथ ही जिस वजह से उदयपुर पुरे विश्व में पहचाना जाता है हमारी झीलें उनको लेकर भी फिक्रमंद नहीं है। बुधवार को बोर्ड की बैठक में एक दुसरे पर आरोप प्रत्यारोप लडने झगडने का पुरा समय था लेकिन झीलों में फैल रही गंदगी को लेकर कोई एक शब्द नहीं बोला। झीलों की सफाई से नगर परिषद ने ऐसा मुंह मोडा की कोई उधर झांक कर नहीं देखता जबकी झीलों से नगर परिषद को लाखों की आय होती है। फिर भी झीलो की सफाई को लेकर परिषद ने अभी तक कोई टेण्डर नहीं निकाले। पिछोला,फतहसागर मुख्य झीले है फतह सागर में घास ओर गंदगी धीरे धीरे बढती जा रही है पानी बह रहा है तब तक कचरा बहाव के साथ निकल रहा था। लेकिन ओवरप*लो बंद होने के साथ ही झील में जमा होने लगी है। जनता को फतहसागर से प्रेम है इसलिए कई स्थानिय लोग और स्वयं सेवी संस्थाए फतहसागर, पिछोला की सफाई में जुट है। नगर परिषद तो झीलो की सुध नहीं लेती नही प्रशासन ने भी पूरी तरह मुंह मोड रखा है एनएलसीपी के तहत लाखों रूपये का बजट झीलों के विकास के लिए आता है लेकिन सफाई के लिए हमेशा बजट नहीं होता जबकि उदयपुर की शान है यह झीले। स्वरूपसागर ओर रंग सागर की तो यह स्थिति है कि धीरे धीरे जलकुंभी ओर काई अपने पेर पसारने लगी है। स्वयं सेवी संस्थाओं को सफाई करता देख नगर परिषद यूआईटी, प्रशासन खुश तो है लेकिन अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते है।
Lakes are not the voters and supporters…… It is very said that only few of the local people realize the importance of lakes…. lack of awareness on lakes and their importance is necessary for all the mass… once every Udaipurite realizes the importance of lakes then these Municipal People will also realize the link of Lake and Voters….