पुरे देश सहित उदयपुर संभाग में में भी मुस्लिम समुदाय ने हर्षोल्लास के साथ ईद-उल-अजहा मनाई , इस मोके पर शहर के विभिन्न मस्जिदों में ईद की विशेष नमाज़ अदा की गयी , नमाज़ अदा कर , एक दुसरे से गले मिल कर ईद की मुबारक बाद दी , और ईद की नमाज़ के बाद कुर्बानी की रस्म अदा की गई ,
इस्लामी साल के अंतिम माह जिल्हज्ज़ में ईद-उल-अजहा हर्षोल्लास से मनाया जाता है , इस त्यौहार का अपना एक अलग ही महत्त्व है | अल्लाह की राह में अपना सब कुछ कुर्बान , न्योछावर करदेने की प्रेरणा इस में निहित हे हज़रात इब्राहीम अलेहिस्सलाम ” जो की अल्लाह के पैगम्बर व् नबी थे उन्हें ख्वाब में अल्लाह की राह में , जब सब से प्यारी चीज़ न्योछावर करने का आदेश मिला तो , उन्होंने अपनी सबसे प्यारी चीज़ अपने बेटे हजरत इस्माइल अलेहिस्सलाम को कुर्बान करने का इरादा किया , और जेसे ही उन्हें कुर्बान करना चाहा तो अल्लाह ने उनकी दी हुई कुर्बानी को स्वीकार किया और उनके बेटे की जगह जन्नत से भेजे हुए दुम्बे की क़ुरबानी हुई और इसलाम धर्म के अनुयायी इसी परंपरा की अंतर्गत कुर्बानी की रस्म निभा कर एक धार्मिक क्रिया का निर्वाह करते हे |
जिस तरह हज़रात इब्राहीम ने अपने सबसे प्रिय की कुर्बानी देकर ये सन्देश दिया है की अल्लाह से बाद कुछ नहीं है हमे उसकी ख़ुशी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करदेने में ज़रा भी संकोच नहीं होना चाहिए अल्लाह की खुशी के अनेकों तरीकों में से एक तरीका यह भी है | यहाँ क़ुरबानी के पीछे छिपी भावना है |
इस्लाम धर्म के मुख्य सिद्धांतों में कलमा ( तौहीद ) नमाज़ , रोज़ा , ज़कात व् हज है , जिल्हज्ज माह का महत्त्व इस लिए भी है की इस माह में हज किया जाता है|