उदयपुर , राजस्थान साहित्य अकादमी का ‘साहित्यकार सम्मान समारोह’ आज भारतीय लोक कला मण्डल के गोविन्द कठपुतली सभागार में सम्पन्न हुआ। सम्मान समारोह के अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री रामनारायण मीणा, उपाध्यक्ष, राजस्थान विधान सभा ने कहा कि ‘‘वर्तमान समय बहुत बदल गया है। अब यह समय प्रेमचंद और महादेवी वर्मा का नहीं है। वर्तमान समय इलेक्ट्रोनिक मीडिया और साहित्यकार का है। विश्व हमें धर्म गुरु कहता है। गुरु-शिष्य का संबंध व एक परिपाटी होती थी। वह सम्मान साहित्यकारों को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति के क्षेत्र में काम करने वालों को लेखकों और साहित्यकारों से सीखना चाहिए, ताकि अच्छे राष्ट्र, समाज और संस्कृति का निर्माण किया जा सके’’। राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री वेद व्यास ने कहा कि, राजस्थान की सृजनात्मक चेतना को मजबूत बनाने का मेरा सपना है, इसे लेखकों के साथ मिल ओर मजबूत बनाना है, ताकि लेखक का स्वाभिमान व सम्मान कायम हो कर मुखरित हो सके। राजस्थान में सृजनात्मक, सामाजिक सरोकार की भावना अधिक से अधिक बढ़े, इससे लेखक का स्वाभिमान बढ़ेगा। आगामी योजनाओं की जानकारी देते हुए वेद व्यास ने कहा कि राजस्थान के 33 जिलों में सांस्कृतिक पुनर्जागरण का अभियान चलाया जाएगा, साथ ही आपने कहा कि लेखक अकादमी से मधुमती व अन्य सरोकारों के माध्यम से अधिक से अधिक जुड़े।
मीरा पुरस्कार विजेता श्रीमती मृदुला बिहारी, जयपुर तथा डॉ. जयप्रकाश पण्ड्या ‘ज्योतिपुंज’ ने अपने आत्म-कथ्य में अपनी रचना प्रक्रिया से अवगत कराया।
राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा इस अवसर पर वर्ष 2008-09 के सर्वोच्च ‘मीरा पुरस्कार’ से अलंकृत श्रीमती मृदुला बिहारी (जयपुर) के साथ ‘सुधीन्द्र पुरस्कार’ विजेता श्री गणेशलाल गौतम (बूंदी), ‘रांगेय राघव पुरस्कार’ विजेता श्री श्याम जांगिड़ (चिड़ावा), ‘देवराज उपाध्याय’ पुरस्कार विजेता श्रीमती कृष्णा कुमारी (कोटा), ‘कन्हैयालाल सहल’ पुरस्कार विजेता श्री राधे मोहन राय (अलवर), ‘भगवान अटलानी युवा लेखन’ पुरस्कार विजेता श्री रवि पुरोहित (बीकानेर), ‘डॉ. सरला अग्रवाल लघुकथा’ पुरस्कार विजेता श्री मुकुट सक्सेना (जयपुर), ‘सुमनेश जोशी’ पुरस्कार विजेता श्री राघवेन्द्र (जयपुर), ‘शम्भूदयाल सक्सेना’ पुरस्कार विजेता श्री सुरेन्द्र अंचल (ब्यावर) के साथ-साथ ‘नवोदित’ पुरस्कार विजेता सुश्री पल्लवी गुर्जरगौड़ (श्रीनाथद्वारा), सुश्री काजल दवे (बीकानेर), श्री राजपाल सिंह शेखावत (जोधपुर) और सुश्री रंजना गोस्वामी (बूंदी) को सम्मानित किया। कार्यक्रम में वर्ष 2010-11 के सर्वोच्च ‘मीरा’ पुरस्कार से डॉ. जयप्रकाश पंड्या ‘ज्योतिपुंज’ (उदयपुर) के साथ ‘सुधीन्द्र’ पुरस्कार विजेता श्री गोविन्द माथुर (जयपुर), ‘देवीलाल सामर’ पुरस्कार विजेता श्री हरीश बी. शर्मा (बीकानेर), ‘देवराज उपाध्याय’ पुरस्कार विजेता प्रो0 मोहनकृष्ण बोहरा (जोधपुर), ‘कन्हैयालाल सहल’ पुरस्कार विजेता श्री नन्दकिशोर चतुर्वेदी (चित्तौड़गढ़), ‘सुमनेश जोशी’ पुरस्कार विजेता श्री ओम नागर (कोटा), ‘शम्भूदयाल सक्सेना’ पुरस्कार विजेता डॉ. शम्भुनाथ तिवारी (भीलवाड़ा) के साथ-साथ ‘नवोदित’ पुरस्कार विजेता सुश्री अनीता गोदारा (सुजानगढ़), सुश्री पल्लवी शर्मा (उदयपुर), सुश्री वर्षा प्रजापत (सुजानगढ़) और श्री अर्णिम माथुर (कोटा) को सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शकुन्तला सरूपरिया ने किया तथा धन्यवाद अकादमी सचिव डॉ. प्रमोद भट्ट द्वारा ज्ञापित किया गया।