हिन्दुस्तान जिंक में अभिनेता आशीष विद्यार्थी द्वारा मोटिवेशनल स्पीच
शुक्रवार को हिन्दुस्तान जिंक के प्रधान कार्यालय के आॅडिटोरियम में जिंक कर्मचारियों के लिए ‘एन इनसाईट’ कार्यक्रम के तहत मोटिवेषनल स्पीच का आयोजन किया गया। जाने-माने अभिनेता आशीष विद्यार्थी ने आॅडिटोरियम में जिंक के विरिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को अपने मोटिवेशनल स्पीच ‘जिन्दा हूॅं मैं’ के माध्यम से उत्साह से जीवन जीने का रास्ता दिखाया। जिं़क के सभी कर्मचारी आषीष विद्यार्थी के मोटिवेषनल स्पीच से बहुत प्रभावित हुए। सभी ने मोटिवेषनल स्पीच को प्रेरणास्रोत एवं अभिप्रेरित बताते हुए दिल से प्रषंसा की।
अभिनेता आषीष विद्यार्थी ने बताया कि जीवन एक कहानी है। जीवन आषाओं एवं निराषाओं से भरा हुआ है। जब मनुष्य कहता है ’’जिंन्दा हॅू मैं’’ आषाओं से भरा हुआ प्रतीत होता है तथा जब मनुष्य बोलता है कि ’’जीवन चल रहा है’’ तो निराषा प्रतीत होती है। उन्होंने जीने के रास्ते बताये दुनिया में जो भी आये हैं स्वयं को ही जीना पड़ता है अब चाहिए वह उत्साह से जीये या निराष होकर जीये। जीवन में जो भी घटित होता है वह एक कहानी होती है। सभी जीवन को एक कहानी समझकर जीना चाहिए। जीवन जीने का एक मौका है अतः प्रसन्न होकर जीना चाहिए। जीवन की कहानियां दुनिया से जोड़ती है एवं पहचान दिलाती है। जीवन मनुष्य का विजिटिंग कार्ड होता है। जीवन आपकी पहचान है। जो लोग जीवन में जीने का अर्थ समझ लेते हैं वो दूसरों के दुखः दर्द को समझते हैं और एक अलग छाप छोड़कर जाते हैं। जीवन में एक यूनिक पहचान होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि जीवन एक रोल होता है। इंजीनियर, डाॅक्टर, फ्रेन्डस, कलीग्स, एम्पलोई, पिता एवं पुत्र ये सब जीवन के रोल होते हैं अतः रोल को निभाना स्वयं की जिम्मेदारी है। जीवन में रोल को जिम्मेदारी से निभाना महत्वपूर्ण है। जीवन में कोई कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है। हर कार्य में रोल की जिम्मेदारी होती है। अच्छा बुरा जीवन के दो पहलु होते हैं। हमेषा मनुष्य को सकारात्मक रहकर कार्य करना चाहिए। नकारात्मक सोच से जीवन में विफलता मिलती है। जीवन में मनुष्य को हमेषा कुछ न कुछ नया सीखने की लगन एवं भावना होनी चाहिए।
आषीष विद्यार्थी ने बताया कि मनुष्य को जीवन सदैव खुष एवं प्रसन्न होकर जीना चाहिए। खुषियों को बांटना चाहिए। सुख-दुख बांटने से जीवन में हलकापन आता है। जीवन में समस्याओं को लेकर बैठने से कार्य बिगड़ता है। दोस्तों, रिष्तेधारों एवं शुभचिन्तकों को समस्याओं के बारे में बताने से समाधान मिलता है। प्रत्येक को एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। प्रत्येक को दिन में किये गये कार्यों की खुषी से समारोह के रूप में मनाना चाहिए। हर रोज जीवन का एक अवसर होता है।
आषीष विद्यार्थी ने जिं़क के कर्मचारियों का उत्सावर्धक करते हुए कहा कि कार्य साहस एवं बहादूरी से करना चाहिए। जीवन में निडर होकर बहादूरी से कार्य करने वालों को सम्मान मिलता है। सम्मान से मनुष्य के मनोबल एवं आत्मस्वाभिमान में वृद्धि होती है। जीवन में सम्मान से उत्साहित होकर कार्य करता है। जीवन में निरन्तर नवाचारों से कार्य में सुधार करना चाहिए। नवाचारों से जीवन में नयापन आता है। प्रत्येक मनुष्य की एन्थ्रोपरन्यूर की तरह सोच होनी चाहिए।
इस अवसर पर हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकरी श्री सुनील दुग्गल ने श्री आषीष विद्यार्थी को धन्यवाद दिया। श्री दुग्गल ने कहा कि जीवन को आनन्द से जीना चाहिए। जिन्दा दिल से जीना चाहिए। कार्य की कोई भी जिम्मेदारी हो अपना समझकर दिल से करना चाहिए। जीवन में पद का होना महत्वपूर्ण नहीं हैं। कार्य के प्रति दृढ़ इच्छाषक्ति होनी चाहिए। कार्य करने वालों के लिए कई रास्ते है और उनको कोई नहीं रोक सकता।
अभिनेता आषीष विद्यार्थी की हिन्दुस्तान जिं़क के वरिष्ठ अधिकारियों से भी बातचीत की। जिं़क के वरिष्ठ अधिकारियों को आषीष विद्यार्थी ने अपने सकारात्मक विचारों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मानव आज दबाव में रहकर भय से जीवन जी रहा है। इस अनिष्चितता के माहौल में मानव रिष्तेदारों एवं फ्रेण्डस से अलग होता जा रहा है। जिससे मानव आज सामाजिक जिम्मेदारियों से भी कट रहा है।
हिन्दुस्तान जिं़क के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन पवन कौषिक ने बताया कि जीवन में मनुष्य की पहचान कार्य से होती है। कार्य करने के लिए स्वयं को समय का प्रबन्ध करना पड़ता है। इसके लिए जरूरी है कि आपकी कार्य के प्रति सच्ची लगन एवं आत्मयिता हो। जीवन में सफलता के लिए कर्तव्यनिष्ठ एवं समपर्ण की भावना होनी चाहिए।