उदयपुर . उदयपुर जिले के कोटड़ा में आयोजित मिलन मेले में शिरकत करने आए डॉ. योगेन्द्र यादव ने कहा कि इस तरह की किसान विरोधी सरकार आजादी के बाद कभी नहीं आई है। इस सरकार में किसानों के हालत और दयनीय हुए है, राजस्थान का कोटड़ा इलाका इसका सबसे ताजा और बड़ा उदाहरण है।
आप पार्टी के पूर्व नेता व् स्वराज इंडिया के संस्थापक डॉ योगेंद्र यादव ने आदिवासियों का मिलन मेला में शिरजकत करने के बाद आज यहाँ पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि आज भी आदिवासियों से हमारी सरकार का आज भी वेसा रिश्ता है जैसा अंग्रेजों के जमाने में इस देश से था। आदिवासियों की हालत देखकर यादव ने साफ किया कि यहां पर स्थिति आज भी दयनीय है, कैंद्र सरकार हो या राज्यसरकार आदिवासियों के साथ वैसा ही बर्ताव किया जा रहा है, जैसा अंग्रेजों ने भारत के साथ किया था। डॉ. यादव ने कहा कि जंगल जन जमीन आंदोलन समिति पिछले एक दशक से आदिवासियों के हितों के लिए काम कर रही है और इस समिति की मेहनत के बुते ही आदिवासियों में नई ताकत का इजाफा होगा। आज आदिवासियों को देश में बहूत पिछड़ा माना जाता है, स्वराज के नाम पर आदिवासी इलाकों में कुछ भी नहीं है आज भी यहां के लोग गुलामी की जिन्दगी सफर कर रहे है। सरकार ने सारे अधिकार इनसे छिन लिए
है। वन अधिकार कानून की भी यहां पर सही ढंग से पालना नहीं हो रही है। कई बार आंदोलन के बाद भी सरकार ने सिर्फ आश्वासन ही दिया है, लेकिन अब आदिवासियों को जागने की जरूरत है, उग्र आन्दोलन ही उन्हें उनके हक दिलाएगा। आपको बता दे कि आगामी छ मार्च को जंगल जन जमीन आंदोलन समिति की ओर से संभाग व्यापी आंदोलन किया जा रहा है, अगर सरकार ने फिर भी इनकी मांग को नहीं माना तो आंदोलन अनवरत जारी रहेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगाी। आदिवासियों की प्रथक राज्य की मांग के सवाल पर डॉ यादव
ने कहा कि प्रथक राज्य बन जाए तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है लेकिन उसके बनने के साथ ही वहां की प्रजा के लिए काम हो, क्योंकि जहां जहां भी आदिवासियों के हितो के देखते हुए अलग से राज्य बने है। वहां पर भी सरकार आदिवासियों के लिए काम नहीं कर पाई है। इतना ही नही मौताणा और चढोतरा जैसी आदिवासी कुप्रथाओं के मुद्दे पर डॉ यादव ने कहा कि परम्पराओं को
सुधारने के लिए बाहर के लोग काम नहीं कर सकते हैं, जो परम्पराओं को मानते है है उन्हीं लोगों को मिलकर इनमें बदलाव करना होगा या सुधारना होगा।
पांच राज्यों के चुनावों के परिणामों के सवाल पर डॉ यादव ने कहा कि किसी भी राज्य में मुद्दों पर चुनाव नहीं हो रहे है। पंजाब में हरित क्रान्ति पर कोई नहीं बोल रहा, उतराखण्ड में पहाडों और
मैदान की रक्षा के लिए कोई नहीं बोल रहा, गोवा में माइनिंग मामले पर कोई नहीं बोल रहा। यह कहा जा सकता है कि राज्य की खास समस्या को गौण रखकर चुनाव लडा जा रहा है। चिन्ता यह नही है कि कौनसी पार्टी का घोड़ा इस चुनाव में आगे बढ़ेगा चिन्ता तो यह है कि परिणाम के बाद वह घोड़ा कितना टिकेगा। इसके साथ ही डॉ यादव ने कहा कि आगामी दो अक्टूबर को स्वराज इण्डिया पार्टी की अधिकृत घोषणा हो जाएगी और दिसम्बर में दिल्ली में होने वाले निकाय चुनावों में पार्टी अपने प्रत्याशी उतारेगी।
आजादी के बाद की सबसे खराब सरकार- यादव, स्वराज की आस लिए देश में ही गुलाम है आदिवासी
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