उदयपुर,। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘‘रंगशाला’’ में नाट्यशाला मुंबई के बाधित कलाकारों ने मेक नाटक ‘‘भरारी’’ में मानव के पिकास की गाथा को एक अनूठे अंदाज में बयां किया। संवाद विहीन इस प्रस्तुति में आंगिक अभिनय व संगीत प्रभाव सम्प्रेषण का प्रमुख स्रोत बन सका।
शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में रविवार शाम मुंबई के बाधित कलाकर्मियों ने भरत मोरे व अन्वय आष्टीवकर की संकल्पना व निर्देशन को श्रेष्ठ ढंग से मंच पर रूपायित किया। ‘‘भरारी’’ अर्थात उड़ान! इस प्रस्तुति में आकाशगंगा, पृथ्वी, सूर्य, चन्द्रमा के उदय से ले कर पृथ्वी पर जल, वनस्पति व जीवों के उद्भव के साथ-साथ वन युगीन मानव स ेले कर आज के मानव की संस्कृति को रोचक व सशक्त तरीके से अभिनीत किया गया।
प्रस्तुति में पाषाण युग, अग्नि की खोज, चक्र कर आविष्कार, प्शुपालन, यातायात के साधनों का विकास तथा विज्ञान के विकास की गाथा को अभिव्यक्त किया गया। कुशल प्रकाश संयोजन तथा ध्वनि प्रभाव ने प्रस्तुति को रोचक बनाने के साथ दर्शकों को बांधे रखा। आखिर में अंतरिक्ष की यात्रा के साथ प्रस्तुति का समापन हुआ। रंग दर्शक एक टक हो रक एक-एक घटनाक्रम को देख रहा था वहीं नवीन आविष्कारों विशेषकर मोटर साइकिल, आइपराइटर, कंप्यूटर, बिजली आदि के आविष्कार के दृश्यों पर दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का अभिवादन किया।
प्रस्तुति में संगीत आशीष गाडे, भरत मोरे व अन्वय आष्टीवकर का था प्रकाश योजना अरूण मडकईकर तथा वेश विन्यास मयूरी मोहिते, नीलम पोटे व प्राची भाट का था। सफेद रंगे मुख के आवरण के पीछे कलाकारों में मनाली खरे, पूजा भाट, अलका आलोलकर, प्राजक्ता पेंडुलकर, श्वेता शाह, आमी सिंग, पंकज लाड, नीलेश नयक, श्रीकांत जाधव, मंजूर शेख, सचिन सालूखे, विनोद कारकर, विशाल जाधव, शिवशंकर गवली, मोहन देवाडीगा, नवनीत कांडर, अमित पोर्टे, पृथ्वी केशरी, अंकित म्हात्रे, नीलम पेटे, मयूरी मोहिते व भरत मोरे शामिल हैं। प्रस्तुति के उपरान्त केन्द्र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा ने कलाकारों का माल्यार्पण कर अभिनन्दन किया।