उदयपुर । सामाजिक सरोकारो के निर्भहन के लिए स्थापित भीलो का बेदला प्रतापपुरा स्थित पेसिफिक मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पीटल में कीडे से होने वाले ट्यूमर की बीमारी का सफल ऑपरेशन किया गया।
इस ऑपरेशन को अंजाम दिया डॉ.के.सी.ब्यास, डॉ.गौरव वधावन, डॉ.बी.एम.सोनी डॉ.कमलेश,डॉ.प्रकाश,डॉ.अनिता,डॉ.विमला,अजय चौधरी,नरेन्द्र एवं नितेश की टीम ने।
संस्थान के डॉ. डी.पी.अग्रवाल ने बताया कि तेजाबास कुण्डा निवासी 24 बर्षीय मोहनलाल चौहान पिछले कई महिनो से पेट दर्द को लेकर परेशान था। मोहनलाल ने इस बीमारी को कई जगह दिखाया लेकिन मॅहगे इलाज के चलते वह अपना इलाज कराने में असहाय थे। जब मोहनलाल के परिजनो ने इसे पीएमसीएच में डॉ.के.सी.ब्यास को दिखाया तो जॉच करने पर मोहनलाल के पेट में गॉठे पायी गई। डॉ.ब्यास ने जब इस मरीज का ऑपरेशन किया तो मोहन के पेट में ऐसी कोई भी जगह नही थी जहॉ पर अण्डे न हो। दो बडी सिष्ट लिवर में थी जिनमें से बहुत सारे छोटे-छोटे अण्डो के साथ-साथ लगभग 6 लीटर पानी भरा हुआ था। अलग-अलग रूप एवं आकार की सिष्ट जिसे हाइडर््ोसिस्ट कहते हैं आतो के बीच,पेशाब की थैली,तिल्ली के पास,पित्त की थैली के पास आदि जगहो पर थी। डॉ.ब्यास ने बताया कि एक दो हाइडर््ोसिस्ट का लीवर अथवा फेफडे में होना अक्सर देखा जाता है लेकिन जिस प्रकार से 40 से 45 हाइडर््ोसिस्ट पूरे पेट में समाई हुई थी मानो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे इस बालक में कीडे के अण्डे बार बार प्रवेश करके एक ट्यूमर का रूप धारण किए हो। मोहनलाल चौहान अब पूरी तरह से स्वथ्य हैं।
डॉ. गौरव वधावन ने बताया कि शरीर के अन्दर पाए जाने वाली हाइडर््ोसिस्ट एक बिशेष कीडे का अण्डा होता हैं जिसके उपर कवच चढा होता हैं और यह अण्डा शरीर के जिस भी अंग में पहुॅचता है वहॉ धीरे-धीरे आकार में बडा होना शुरू हो जाता हैं। इस सिष्ट का सबसे प्रिय निवास स्थान या तो फेफडा होता है या फिर लिवर। अण्डो को जन्म देने वाले वाले कीडे का नाम इकाइनोकोकस ग्रनुलोसस होता है और यह मनुष्य के शरीर में न होके कुत्ते,लोमडी,गाय,भैस,बकरी,भेड,घोडा आदि के ऑतो में रहता हैं। यह बीमारी इन जानवरो के ज्यादा सम्पर्क में रहने एवं साफ सफाई न रखने के कारण फैलती हैं।
कीडे वाले ट्यूमर का पीएमसीएच में हुआ सफल इलाज
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