कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की अर्थव्यवस्था में जो गड़बड़ की है, उसे दुरूस्त करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) के भंडार से पैसा खींचने के लिए उस पर दबाव डाल रहे हैं।
एकट्वीट में उन्होंने आर.बी.आई. गवर्नर उर्जित पटेल से अनुरोध किया कि वे प्रधानमंत्री का मुकाबला करें और उनके द्वारा बनाये जा रहे दबाव के आगे नहीं झुके।।
राहुल ने ट्वीट कियाः रूपये 36,00,00,00, 00,000 (36 खरब रूपए)। ये वो रकम है जो प्रधानमंत्री आर.बी.आई. से चाहते हैं । ताकि अपनी “बुद्धिमता’ भरी आर्थिक नीतियों से हुई गड़बड़ियों को ठीक कर सके। पटेल आप उनका मुकाबला करें देश को बचायें। राहुल की टिप्पणियों को विस्तार से बताते हुए कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि आर.बी.आई. के भण्डारों से धन प्राप्ति के मोदी सरकार के प्रयास देश की आर्थिक संप्रभुता को तबाह कर देंगे। सरकार को 9.59 लाख करोड़ के अपने मुद्रा भण्डार से 3.6 लाख करोड़ रूपये देने के आर.बी.आई. पर बनाये जा रहे दबाव के बारे में उन्होंने कहा “यदि यह फलीभूत हो जाता है तो आर.बी.आई. की स्वायत्तता पर हमले के अलावा यह ग्रेट इण्डियन रॉबरी के समान होगा। यह देश वृहद आर्थिक सम्प्रभुता को तबाह कर देगा।” |
यह उल्लेख कहते हुए कि आर.बी.आई. के इतिहास में पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, तिवारी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि वित्त मंत्रालय इतनी बड़ी राशि को केन्द्रीय बैंक में रखा हुआ “पूंजी अधिक्य” मानता है और उसे हड़पना चाहता है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय करने का अधिकार पूर्णतया
आर.बी.आई. के पास है कि उसे कितनी पूंजी का भण्डार रखना है तथा सरकार को इसमें हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है।
उन्होंने मंगलवार को इण्डियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि मंत्रालय आर.बी.आई.पर पूंजी भण्डार की जरूरत के अधिमूल्यांकन का आरोप लगा रहा है और आर.बी.आई. को आशंका है कि उसके भण्डार में सरकार की छेड़छाड़ से वृहद आर्थिक सम्प्रभुता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
जब उनसे पूछा गया कि सरकार के प्रयास को विफल करने के लिये कांग्रेस क्या कदम उठायेगी तो तिवारी ने कहा कि सरकार के प्रयास का मुकाबला करने के लिये कांग्रेस के पास कानूनी व न्यायिक सहित तमाम विकल्प खुले हैं। सबसे पहले पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने उल्लेख किया था कि आर.बी.आई के मुद्रा भण्डार पर सरकार की गिद्ध दृष्टि है। तिवारी ने कहा: आर.बी.आई. के भण्डार ये आत्मविश्वास प्रदान करते हैं कि यह केन्द्रीय बैंक किसी भी संकट का मुकाबला कर सकता है। सरकार का प्रयास इस आत्मविश्वास को भंग कर देगा।
उन्होंने कहा, यह बेहद गंभीर विषय है। भारत की आर्थिक संप्रभुता पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। आर.बी.आई. की स्वायत्तता विदेशी व घरेलू निवेशकों को आश्वस्त करती है। यह याद दिलाते हुए कि ऐसा करके अर्जेन्टाइना ने किस प्रकार अपनी अर्थव्यवस्था का विध्वंस किया,तिवारी ने कहा कि गैर जिम्मेदाराना सरकार राष्ट्रीय हित से खिलवाड़ कर रही है।’ मतदाताओं को मुफ्त उपहार बांटकर 2019 का चुनाव जीतने के लिये उसे धन चाहिये। वित्तीय घाटा और वर्तमान लेखा घाटा बढ़ता जा रहा है। पैट्रोलियम उत्पादों पर टैक्स वसूली से 11 लाख करोड़ रूपयों की आय हासिल करने के बावजूद सरकार के भण्डारों में वृद्धि नहीं हो रही है।
सरकार के इस आकलन पर कि आर.बी.आई. के पास मुद्रा आधिक्य है, उन्होंने कहा कि इसके निर्णय का अधिकार केन्द्रीय बैंक के पास है और इसके लिये प्रश्न करने का वित्त मंत्रालय को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी के तुगलकी फरमान सहित सरकार की अयोग्यता और गलत नीतियों के कारण वित्तीय हालात इस खतरनाक स्तर पर पहुंच गए हैं। । विडम्बना यह है कि सरकार द्वारा यह हस्तक्षेपनोटबंदी
की द्वितीय वर्षगांठ के महज कुछ ही दिन पूर्व किया गया है। माना जा रहा था कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की सारी बुराईयों को समाप्त कर दिया है।
तिवारी ने कहा “प्रधानमंत्री ने नोटबंदी से अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। इसके लिये बनाया गया एक भी लक्ष्य पूरा नहीं हुआ। उम्मीद की गई थी कि लेन-देनों को डिजीटल करने के अतिरिक्त इससे काला धन, जाली मुद्रा और आतंक की बुराई समाप्त होगी लेकिन इसके बजाए आज 2016 की तुलना में अधिक नकदी प्रचलन में है। * नोटबंदी के लिए प्रधानमंत्री को देश से माफीनामा देने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा आर.बी.आई. के मुद्रा भण्डार में से नकदी निकालने के इस अन्य प्रयास की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि कांग्रेस पूरी ताकत से इसका मुकाबला करेगी।
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