नई दिल्लीः जेएनयू विवाद में छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया की गिरफ्तारी के बाद देशद्रोह का मुद्दा और इसके कानून को लेकर बहस एक बार फिर तेज है.
अब संविधान के जानकार सोली सोराबजी ने कहा है कि सरकार की आलोचना देशद्रोह नहीं हो सकती. लेकिन भारत के टुकड़े करने जैसे नारे देशद्रोही की श्रेणी में आएंगे. सवाल ये है कि देशद्रोही कौन है?
कन्हैया ने कैंपस में नारे लगाए या नहीं इस बात की पुलिस जांच कर रही है लेकिन कन्हैया पर देशद्रोह यानी धारा 124ए का केस दर्ज हो चुका है और तभी से सवाल उठ रहे हैं क्या ये मामला भी देशद्रोह का बनता है.
देशद्रोह के विवाद में जाने माने कानून विशेषज्ञ सोली सोराबजी ने कहा है कि सरकार की आलोचना करना देशदोह नहीं है. पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाना भी देशद्रोह नहीं है लेकिन भारत के टुक़ड़े होंगे जैसे नारे देशद्रोह की श्रेणी में आते हैं.
1870 में बने इस देशद्रोह कानून का इस्तेमाल अंग्रेजों ने महात्मा गांधी और बालगंगाधर तिलक के खिलाफ किया था. आजादी के बाद इसे संविधान में शामिल कर लिया गया था.अब कांग्रेस कह रही है कि देशद्रोह का कानून खत्म होना चाहिए.
हालांकि आजादी के बाद साठ सालों तक कांग्रेस सत्ता में रहती और तब देशद्रोह के कई मामले लगने और विवाद होने के बावजूद देशद्रोह कानून खत्म नहीं हो पाया.
कन्हैया के केस में सवाल उठे थे कि जब दिल्ली पुलिस घटना के वक्त नहीं थी तो मामला कैसे दर्ज कर लिया. कानून के जानकारों के मुताबिक
”बिना शिकायत के भी देशद्रोह का केस दर्ज हो सकता है. स्वत: संज्ञान लेकर पुलिस देशद्रोह का केस दर्ज कर सकती है. देशद्रोह का केस लगाने के लिए हिंसा होना जरूरी नहीं है.”
जानकार मानते हैं कि शुरुआती रिपोर्ट के आधार पर भी देशद्रोह की धारा लगाई जा सकती है लेकिन इस धारा को साबित करने के लिए पुख्ता सबूत जुटाने होंगे.
दरअसल संविधान से मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वजह से देशद्रोह कानून पर सवाल उठते रहते हैं. कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी के केस में भी यही हुआ था जिसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को आधार मानकर राष्ट्रीय चिह्नों और प्रतीकों का गलत इस्तेमाल करके संविधान को नीचा दिखाया और देशद्रोह का केस लगा. हालांकि बाद में उनके ऊपर से देशद्रोह का आरोप हटा लिया गया.
कन्हैया और असीम त्रिवेदी के अलावा गुजरात में पटेलों के लिए आरक्षण मांगने वाले हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का केस पिछले साल लगा था और वो फिलहाल जेल में हैं.
पाटीदार आंदोलन के दौरान गुजरात में हार्दिक ने एक आदमी से कहा था कि अगर कुछ करना ही चाहते हो तो दो–पांच पुलिसवालों को मारो, कोई पाटीदार युवक को मरना नहीं चाहिए.
मशहूर लेखिका अरुंधति रॉय और हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी पर 2010 में एक सेमिनार में भारत विरोधी भाषण देने के आरोप में देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था.
मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन पर 2007 में नक्सलियों की मदद के आरोप में देशद्रोह का केस लगा और आजीवन कारावास की सज़ा सुना दी गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जमानत मिल गई.
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