अजीब मुसीबत: आपातकाल में जेल गए, 38 साल बाद फिर जेल के चक्कर

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8301_30उदयपुुर. गिरफ्तारी के दौरान उदयपुर में रहे, वर्तमान में कोटा निवासी नरेंद्र मेघ 18 दिसंबर 1975 को उदयपुर में गिरफ्तार होकर 18 माह तक जेल में रहे। प्रमाण पत्र नहीं मिलने पर इन्होंने वकील से कानूनी कार्रवाई करने का नोटिस जेल को भेजा है।

स्थानीय निवासी भूपाल सिंह बाबेल पांच साथियों के साथ जेल में रहे। अब वे बंदी होने का प्रमाण पत्र मांग रहे हैं, लेकिन रिकॉर्ड नहीं मिल रहा। कई बार चक्कर काट चुके हैं, लेकिन प्रमाण पत्र के अभाव में आवेदन नहीं कर पा रहे।

नवर- कॉम्प्लेक्स निवासी हेमेंद्र श्रीमाली उदयपुर जेल में महीनों बंद रहे। उन्हें जोधपुर जेल शिफ्ट किया गया। उदयपुर जेल में रिकॉर्ड नहीं होने से सर्टिफिकेट नहीं मिला। जोधपुर जेल का अंशकाल का प्रमाण पत्र मिलने पर पेंशन पाने योग्य हुए।

देश में आपात काल के वक्त जेल में रहे मीसा और डीआईआर बंदियों को 38 साल बाद पेंशन के लिए जेल के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यह अजीब मुसीबत इसलिए है क्योंकि पेंशन के लिए उसी जेल का सर्टिफिकेट होना जरूरी है। उदयपुर सेंट्रल जेल के मीसा (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट-1971) बंदियों में से कुछ का रिकॉर्ड ही नहीं मिल रहा। यही परेशानी डीआईआर (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स-1971) बंदियों के साथ भी है। इन लोगों के लिए यह साबित करना मुश्किल हो रहा है कि वे आपात काल के दौरान जेल में रहे थे। पेंशन के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है। ऐसे में प्रमाण पत्र के लिए भागदौड़ बढ़ रही है।

छह साल बाद, दोगुनी पेंशन
तत्कालीन वसुंधरा सरकार द्वारा 12 सितंबर 2008 को मीसा व डीआईआर बंदियों को पेंशन के आदेश दिए गए थे। उस समय मीसा, डीआईआर पेंशनर को मासिक 6 हजार रुपए पेंशन व 600 रुपए चिकित्सा सहायता देने की घोषणा हुई थी। योजना लागू होने से पहले 2009 में सरकार बदल गई। नई सरकार ने रोक लगा दी। फिर से वसुंधरा सरकार बनने पर पेंशन दोगुनी कर दी गई।

उदयपुर जेल में रहे 105 बंदी
लोक तंत्र रक्षा मंच के स्थानीय समन्वयक दलपत दोशी ने बताया कि आपातकाल 1975-77 के दौरान मीसा के तहत 7 व डीआईआर के तहत 98 लोग बंदी रहे। इनमें उदयपुर जिले के साथ ही राजसमंद, सवाई माधोपुर, चित्तौडग़ढ़ जिलों के भी बंदी थे। बंदियों में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल, कैबिनेट मंत्री गुलाब चंद कटारिया, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांति लाल चपलोत, पूर्व सभापति युधिष्ठिर कुमावत आदि भी शामिल हैं। वर्ष 2008 में पेंशन घोषणा के दौरान प्रदेश में 850 आवेदन जमा हुए थे। मीसा, डीआईआर में 2222 लोग प्रदेश की जेलों में बंद रहे थे।

ये हैं पेंशन आवेदन के नियम
पात्र व्यक्तियों के अंतिम तिथि 30 अप्रैल तक आवेदन करने पर 1 जनवरी 2014 से पेंशन मिलेगी। ऐसे मीसा व डीआईआर बंदी जो वयस्क होकर, कम से कम एक महीने तक जेल में रहे हों, जबकि क्षमायाचना के बाद जेल से नहीं छूटे हों। ऐसे पात्र व्यक्तियों का निधन होने पर उनकी पत्नी/पति द्वारा आवेदन करने पर जीवन पर्यंत पेंशन मिलेगी। ऐसे पेंशनर को 12 हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी। पेंशन के साथ 1200 रुपए प्रतिमाह चिकित्सा सहायता नकद मिलेगी।

नहीं मिल रहा रिकॉर्ड
॥ज्यादातर लोगों को हमने रिकॉर्ड उपलब्ध करवा दिया है, कुछ लोगों का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा। करीब 40 साल पुराना रिकॉर्ड होने से ढूंढने में परेशानी आ रही है। इसके लिए एक कर्मचारी को लगा रखा है। रिकॉर्ड मिलते ही प्रमाण पत्र जारी करेंगे। इस काम में कर्मचारी बढ़ाकर रिकॉर्ड जल्दी देने की कोशिश करेंगे।
कैलाश त्रिवेदी, अधीक्षक, सेंट्रल जेल

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
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