उदयपुर। मावली विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अपनी-अपनी चुनावी रणनीतियां बनाने पर काम शुरू कर दिया है। दोनों ही दलों में इस सीट पर चुनाव लडऩे के लिए दावेदारों की कोई कमी नहीं है। कांग्रेस में एक दर्जन और भाजपा में आधा दर्जन से अधिक दावदार इस सीट का टिकट मांग रहे हैं। सभी गंभीर दावेदार है, इसलिए किसी एक को टिकट देने पर अन्य से बगावत की आशंका भरपूर है। जो बागी नहीं बनेंगे, वे भीतरघात का रास्ता अपना सकते हैं।
मावली की रबड़ी पर अपना अधिकार जताने वाले कांगे्रस उम्मीदवारों की फेहरिश्त में पुष्कर डांगी (वर्तमान विधायक), शांतिलाल चंडालिया, मीठालाल सामोता, लता चौधरी, दिलीप प्रभाकर, जगदीशराज श्रीमाली, श्यामलाल चौधरी, भीमसिंह चूण्डावत, परसराम सोनी, हुक्मीचंद डांगी, गोपालसिंह चौहान, गोवद्र्धनसिंह चौहान, जीतसिंह चूण्डावत आदि शामिल हैं।
इसी प्रकार भारतीय जनता पार्टी में धर्मनारायण जोशी (पिछले चुनाव में पराजित प्रत्याशी) शांतिलाल चपलोत (पूर्व विधानसभा अध्यक्ष), मांगीलाल जोशी, चन्द्रगुप्तसिंह, कुलदीपसिंह चूण्डावत और प्रमोद सामर टिकट के इच्छुक है। प्रमोद सामर को छोड़कर सभी नेता मावली क्षेत्र में अपनी जड़े जमाने में लम्बे समय से जुटे हुए हैं। धर्मनारायण जोशी की प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी से निकटता के कारण उनका टिकट पक्का माना जा रहा हैं, लेकिन स्थानीय वाद के नारे से श्री जोशी का अहित हो सकता है।
इस क्षेत्र में वर्तमान विधायक पुष्कर डांगी का भारी विरोध है। इन्हें पिछले चुनाव में वरिष्ठ नेता डॉ. सीपी जोशी ने अपनी जिम्मेदारी पर टिकट दिलाया था। इसमें डॉ. जोशी की शिवसिंह चौहान से व्यक्तिगत नाराजगी कारण बनी बताते हैं। वैसे पुष्कर डांगी पर विधायक बनने के बाद वरिष्ठ कार्यकर्ताओं की घोर उपेक्षा करना, विकास कार्यों में रूचि नहीं लेना, माफिया के साथ मिलकर जमीनों के धंधे करना, बिला नाम और चरनोट भूमि अपने तथा चहेतों के नाम एलोट करवाना (एक मामला तो मुख्यमंत्री तक भी पहुंचा है), अपने भाजने तथा उपप्रधान उदयलाल को अधिक तरजीह देना आदि कारण उनकी राह में कांटे बिछा रहे है।
पिछले दिनों एक दिन में १७ कार्यों के उद्घाटन समारोह में आमजन की भागीदारी नगण्य रहना भी पुष्कर डांगी की लोकप्रियता में आई कमी प्रदर्शित करता है। हालांकि टिकट के लिए अपनी बुनियाद मजबूत करने के उद्देश्य से उन्होंने केन्द्रीय मंत्री डॉ. गिरिजा व्यास का दामन थाम लिया है, और उनसे जनसभाओं में अपनी तारीफ करवा रहे है, लेकिन इससे डॉ. व्यास के प्रति भी कार्यकर्ताओं में गुस्सा उभर रहा है।
मावली की रबड़ी पर कब्जा करने की कवायद
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