रोज रंग बदल रही है वल्लभनगर सीट

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vallabh nagar

उदयपुर। जिले की वल्लभनगर सीट रोज नए रंग बदल रही है। प्रतिष्ठा, पार्टी, जाति, घात, भीतरघात जैसे सारे शस्त्र इस रण में चल रहे हैं, जहां भाजपा को पहले तीसरे नंबर पर माना जा रहा था और रणधीरसिंह भींडर की जीत के कयास लगाए जा रहे थे। आज वहां तीनों प्रत्याशी समांतर पर आकर खड़े हो गए हैं। जातिवाद और पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता के चलते जो मतदाता रणधीरसिंह के खेमे में जाते हुए दिख रहे थे। आज फिर एक बार भाजपा के साथ खड़े हुए हैं।
मेनारिया बढ़ा रहे हैं बढ़त: भाजपा के प्रत्याशी गणपत मेनारिया को टिकट मिलने के बाद जहां उन्हें कांग्रेसी कहकर भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा नकार दिया गया था। आज वो ही कार्यकर्ता भाजपा के बड़े कद्दावर नेताओं के समर्थन के चलते उनके लिए दिन रात एक कर रहे हैं। भाजपा के आलाकमान से भी निर्देश है कि भाजपा किसी भी हाल में पिछडऩी नहीं चाहिए और वोटों की गणित के चलते भी मेनारिया बढ़त बनाते हुए लग रहे हैं। क्षेत्र के जैन मतदाता पहले ही कटारिया की वजह से मेनारिया के पक्ष में है। ऊपर से वहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है और मेनारिया के ब्राह्मण होने से यह वोट उनकी झोली में ही गिरने वाले हंै।
जहां सहानुभूति, वहीं विरोध भी: रणधीरसिंह भींडर का टिकट भाजपा ने काट दिया, तो भींडर के पक्ष में सहानुभूति की लहर चल गई, लेकिन जहां सहानुभूति है, वहीं एक और देखा जाए, तो उनका विरोध भी है। ख़ासकर कानोड़ में और राजपूतों के तो उन्हें सहानुभूति के चलते वोट मिल सकते हंै, लेकिन भींडर में आरएसएस कार्यकर्ता की हत्या का आरोप और भींडर हॉस्पीटल की जमीन के बेचान के मामले को लेकर भींडर में उनका भारी विरोध है, जिसका खामियाजा भींडर को उठाना पड़ सकता है।
राजपूत और रावत वोट बंटने का खतरा: कांग्रेस के प्रत्याशी गजेंद्रसिंह शक्तावत अपनी जीत को लेकर निश्चिन्त नजर आ रहे थे और यही उन्होंने गलती कर दी है। एक तरफ जहां रणधीरसिंह भींडर को सहानुभूति के चलते पारंपरिक राजपूत वोट भी मिलेंगे, जिसमें शक्तावत का सीधा नुकसान हैं, वहीं राजपा के भंवरलाल रावत अपनी जाति के वोट बैंक में सेंध लगाने का काम कर रहे हैं, जिसमे भी गजेन्द्रसिंह शक्तावत का नुकसान है, क्योंकि माना जाता है कि रावत अधिकतर कांग्रेस के साथ रहे हैं, लेकिन इस चुनाव में जातिवाद अपनी चरम सीमा पर है और इसका नुकसान कांग्रेस को निश्चित होगा। वल्लभनगर सीट पर हार-जीत का आंकड़ा बहुत कम अंतर से रहेगा। इस दौड़ में आगे वो ही रहेगा, जो आखरी समय तक लगातार दौड़ता रहेगा।

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