पोस्ट न्यूज़ . भरतपुर की एक न्यायलय ने २० साल पुराने एक मामले में तत्कालीन उप जिला कलेक्टर और हाल में उदयपुर यु आई टी के सचिव रामनिवास मेहता को एक साल का कारवास की सजा सुनाई साथ ही पूर्व आर ए एस अधिकारी पूरनचंद गुप्ता हित नवलपुरा निवासी भगवान सहाय मीना को भी एक साल का कारावास सुनाया . नयायालय भूमि पर पर अतिक्रमण कर फसल को नष्ट करने के आरोप में एक-एक वर्ष की सजा सुनाई है। मेहता वर्तमान में यूआईटी उदयपुर में सचिव हैं जबकि पूरनचंद सेवानिवृत हो चुके हैं।फैसले के तत्काल बाद दोनों अधिकारियों को जमानत मिल गई। यूआईटी सचिव मेहता ने कहा : हां, अदालत ने ये फैसला दिया है। हम कोर्ट से फैसले की विस्तृत पत्रावली ले रहे हैं। हम ऊपर की अदालत में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। मेहता के अनुसार यह तथ्य है कि जिस जमीन को लेकर फैसला दिया गया है, वह सरकारी जमीन थी और चरागाह भूमि थी। अभियोजन अधिकारी राजेश शर्मा के अनुसार शिकायतकर्ता ने इस्तगासा में उल्लेख किया है कि उसकी व उसके छोटे भाई शिवलाल की खातेदारी आराजी बांके ग्राम नवलपुरा में है जिसकी डौल मैड हो रही थी। सरसों की फसल बोई थी, तभी 22 नवम्बर 1997 को कुछ अपराधी तत्व फसल को जोतने गए जिन्हें बड़ी मुश्किल से हटाया गया। इसके बाद 13 जनवरी 1998 को तत्कालीन उपजिला कलेक्टर बयाना रामनिवास मेहता,तत्कालीन तहसीलदार पूरन चंद गुप्ता, एसएचओ भुसावर, सीओ बयाना व अन्य पुलिस कर्मचारी, गिरदावर किरोड़ी लाल मीना, हल्का पटवारी रामदयाल मीना मुस्तगीस की खड़ी फसल को ट्रैक्टर से खेत में अनधिकृत रूप से घुसे और फसल को नष्ट कर दिया। इस पर न्यायालय में इस्तगासा पेश हुआ। इसमें न्यायालय ने साक्ष्य लेने और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद रामनिवास मेहता, पूरनचंद गुप्ता, भगवान सहाय मीना को दोषी पाया और तीनों को एक-एक वर्ष के कारावास की सजा सुनाई।