युआईटी सचिव के खिलाफ बढ़ता जा रहा है पत्रकारो का आक्रोश

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उदयपुर। पात्र पत्रकारों को भूखंड नहीं देने और अड़चनें खड़ी करने वाले यूआईटी सचिव डॉ. आर पी शर्मा के खिलाफ पत्रकारों का आक्रोश अब धीरे धीरे अपने चरम पर पहुचने लगा है । प्रशाशन ना ही यु आई टी में बैठे ये आधुनिक तानाशाह इस बात को समझ रहे है कि अपने हक़ के लिए दिन रात सामजिक हितों के लिए ईमानदारी से दौड़ने वाले पत्रकार अब अपने जीवन भर की पूंजी में खयानत होने पर किसी भी हद तक जा सकते है ।
पत्रकारों का धरना गुरूवार को दूसरे दिन भी जारी रहा। कलेक्ट्रेट के सामने यूआईटी सचिव के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। बाद में युआईटी में भी प्रदर्शन किया गया। सचिव ने गुरूवार को भी इस सन्दर्भ में कोई निर्णय नहीं लिया | इधर, पत्रकारों के एक प्रतिनिधि मंडल ने कैबिनेट मंत्री और शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया से भी चर्चा की, जिन्होंने इस मामले को दिखवाने का आश्वासन दिया।
पत्रकार संघर्ष समिति के बैनर तले कलेक्ट्रेट के समक्ष दिए जा रहे धरने में सभी समाचार पत्रों के पत्रकार शामिल हुए। इस दौरान लेकसिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष मनु राव, पूर्व अध्यक्ष अख्तर खान, संजय खाब्या, संजय गौतम, भी धरने पर बैठे । पत्रकार कपिल श्रीमाली, ललित सोनी, राजेंद्र हिलोरिया, भूपेंद्रसिंह चूंडावत, सुनील गोठवाल, घनश्यामसिंह, रमेश भटनागर, विनोद माली, प्रकाश मेघवाल, चंचल सनाढ्य, संजय खाब्या, भगवान, अशोक सोनी आदि पत्रकार भी धरने पर बैठे। लेकसिटी प्रेस क्लब के अध्यक्ष मनु राव ने बताया कि इस संबंध में पत्रकारों से वार्ता के लिए प्रशासन ने अब तक कोई पहल नहीं की है। दिन में दो बजे बाद सभी पत्रकार यु आई टी सचिव आर पी शर्मा से मिलने पहुचे लेकिन वह यु आई टी में मौजूद नहीं थे । पत्रकारों के धरने के मद्देनज़र उन्होंने गुरूवार को होने वाली जनसुनवाई को भी स्थगित रखा । शाम को पत्रकारों का प्रतिनिधि मंडल सचिव से मिला लेकिन सचिव ने अभी तक इस मामले में कोई रूचि नहीं दिखाते हुए अपनी हट धर्मिता पर अड़े हुए है और नए नए नियम लगा कर किसी भी तरह से पत्रकारों के प्लाट आवंटन को टालना चाहते है। सचिव के इस रवैये और कलेक्टर की उदासीनता को दख कर अब पत्रकारों का धेर्य जवाब दे रहा है । पत्रकारों का धरना आगे भी जारी रहेगा। प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, तो सोमवार से कुछ पत्रकार द्वारा आमरण अनशन शुरू किया जाएगा। पत्रकारों भूखंडों की जायज मांग के समर्थन में कई सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी भी पत्रकारों के साथ धरने पर बैठे। इनमें शिवदल मेवाड़, मुस्लिम महासभा, अनुसूचित जाति मोर्चा सहित कई संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता शामिल थे।

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