उदयपुर। पिछले एक साल से अपने अध्यक्ष का इंतज़ार कर रही यूआईटी को आखिर अध्यक्ष मिल ही गया। नगर परिषद् के पूर्व चेयरमेन रविन्द्र श्रीमाली को राज्य सरकार ने यूआईटी का चेयरमेन नियुक्त किया है । पिछले काफी समय से यूआईटी चेयरमेन के लिए अटकले लगाईं जारही थी और कटारिया व् किरण गुट के दावेदारों के नाम सामने आरहे थे। लेकिन सारे नामों पर विराम लगाते हुए राज्य सरकार ने रविन्द्र श्रीमाली के नाम पर मुहर लगा दी।
श्रीमाली की नियुक्ति से इस पद की दाैड़ में शामिल कटारिया गुट के दावेदारों को मायूसी हाथ लगी है। खबर सुनते ही कटारिया समर्थक दंग रह गए और श्रीमाली को बधाई देने में कटारिया गुट से जुड़े स्थानीय भाजपा नेता दूर रहे। यूआईटी चेयरमैन पद की दौड़ में कटारिया गुट से प्रेमसिंह शक्तावत, कुंतीलाल जैन, प्रमोद सामर, दिनेश भट्ट और जीएस टांक को शामिल माना जा रहा था।
रविंद्र श्रीमाली 2004 से 2009 तक नगर परिषद के सभापति रह चुके हैं। श्रीमाली के नगर परिषद् का कार्यकाल सबसे सफल सभापति का कार्यकाल माना जाता है . श्रीमाली विधानसभा चुनाव से पहले संगठन चुनाव में भाजपा शहर जिलाध्यक्ष की दौड़ में भी थे लेकिन अंतिम समय दिनेश भट्ट को शहर जिलाध्यक्ष बना दिया गया था।
रविन्द्र श्रीमाली की नियुक्ति के बाद माना जारहा है कि श्रीमाली को उदयपुर UIT चेयरमेन नियुक्त कर राज्य सरकार ने उदयपुर के हित में अच्छा फैसला लिया, निर्मल स्वभाव, हर छोटे बड़े का हाथ जोड़ कर अभिवादन करना, स्वच्छ और साफ़ छवि वाले रविन्द्र श्रीमाली के UIT चेयरमेन नियुक्त होने के बाद शहर का विकास निश्चित तौर पर नज़र आएगा। श्रीमाली ने अपने नगर परिषद् सभापति कार्यकाल के दौरान निसंदेह इमानदारी और कर्मठता से अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। श्रीमाली आम जनता के प्रति जितने निर्मल, शांत और हंसमुख है. उतने ही कड़क और कठोर काम नहीं करने वालों के प्रति भी है। यही वजह थी कि पूर्व में सभापति रहने के दौरान शहर में ठेकेदारों द्वारा किये जारहे कामों का जायजा लेने के लिए वे रोज़ सुबह – सुबह बिना ताम झाम के अकेले ही निकल जाते थे और जहाँ हरामखोरी, भ्रष्टाचार या गड़बड़ नज़र आती मोके पर ही समझाइश और फटकार का बखूबी उपयोग करते हुए निर्णय लेलेते थे. शहरवासियों को उम्मीद है की श्री श्रीमाली अपने इस स्वभाव और कार्य शैली को बनाए रखेगें।
रविन्द्र श्रीमाली उदयपुर यूआईटी के अध्यक्ष – कटारिया खेमा मायूस
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