चंडीगढ़.एक सड़क हादसे के बाद ब्रेन डेड घोषित 18 साल की स्टूडेंट ने पांच लोगों को नया जीवन दिया है। लड़की की किडनी, लीवर और कोर्निया को जरूरतमंद लोगों को डोनेट किए गए हैं। डॉक्टरों के मुताहिक, हार्ट भी दिया जाना था, लेकिन उन्हें कोई उपयुक्त रिसीपिएंट नहीं मिल पाया। जानिए कैसे दिया पांच लोगों को नया जीवन…
परिजनों की जुबानी अंजु की कहानी…
मेरी बच्ची ने तो शायद दूसरों को जीवन देने के लिए ही जन्म लिया था। छोटी थी तो अपने खेलने के खिलौने दूसरों को दे देती थी, बड़ी होकर अपनी प्लेट का खाना भूखों को देने वाली अंजू तो मरने से पहले अपने शरीर के अंग भी दूसरों को दे गई। ईश्वर ने शायद दूसरों के लिए ही उसे चंद सांसें दी थी। यह दर्द अंजू के अंकल सुरेंद्र धीमान का है। कुछ इसी तरह की बात अंजू की मां ने भी कही।
– चार दिन पहले अंजू यमुनानगर में सड़क हादसे का शिकार हुई थी।उसके सिर में गहरी चोटें आई थी। इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ लाया गया था। अंजू को बचाने की कोशिश की गई थी, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका और ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
डॉक्टर्स ने जैसे ही बताया कि अंजू ब्रेन डेड है उसके पिता रमेश और मां ममता ने एकदम से कह दिया कि वह अंजू के अंगों को डोनेट करेंगे, क्योंकि उसे दूसरों को कुछ-कुछ देते रहने का जुनून था। अचानक से मिली मौत के बाद अंजु की आत्मा को तब ही सुकून पहुंचेगा, जब उसके अंगों का दूसरे इस्तेमाल करेंगे।
पांच लोगों को नया जीवन दे गई…
पीजीआई में अंजू पांच लोगों को नया जीवन दे गई। उसके दो कोर्निया, दो किडनी और एक लीवर पीजीआई के पेशेंट्स को लगा दिए गए। अंजु के पिता रमेश धीमान ने रोते हुए कहा कि वह यही आशा करेंगे कि अंजु के अंग जिस किसी के भी अंग में सांस लेंगे उन शरीरों में सालों साल चलते रहें। उन्होंने कहा कि भले अंजु के उस शरीर की मौत हो गई है जिसे हम बेटी मानते थे लेकिन अब अंजु ने पांच लोगों के शरीर को अपना बना लिया है।