उदयपुर । कोर्ट का काम सोमवार को पूरी तरह ठप्प रहा। न्यायिक कर्मचारी ने पहले ही बेमियादी हड़ताल की घोषित कर रखी थी। दूसरी तरफ स्टाम्प वेंडरों की भी लिमिट तय करने को लेकर विरोध में बंद रहा । दूसरी तरफ जिला प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट बैंच की मांग के संबंध में मुख्यमंत्री को ज्ञापन न दिला पाने, मुख्यमंत्री द्वारा मुद्दे को नकार देने के विरोध में अधिवक्ताओं ने भी अपने काम का बहिष्कार कर रोड जाम किया और उग्र प्रदर्शन किया।
कोर्ट में आज पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है । किसी भी तह का कोई कार्य नहीं हो रहा है। न्यायिक कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के लिए दी गई शेट्टी कमीशन की सिफारिशें लागू नहीं करने के राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ उदयपुर जिले की सभी अदालतों में कार्यरत न्यायिक कर्मचारी आज से बेमियादी हड़ताल पर है। कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया और जिला कलेक्ट्री पर जा कर ज्ञापन भी दिया। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष भंवर लाल मारु ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के मध्यस्थता आदेश की पालना करने पर राज्य सरकार के खिलाफ बेमियादी हड़ताल का निर्णय लिया गया है। मारू ने बताया कि कर्मचारियों ने सामूहिक अवकाश के प्रार्थनापत्र अपनी अदालतों के पीठासीन अधिकारियों को सौंप दिए हैं।
सरकार द्वारा स्टाम्प वेंडरों की लिमिट तय किये जाने से नाराज़ सभी स्टाम्प वेंडरों ने विरोध स्वरुप अपना काम काज बंद कर किसी को कोई स्टाम्प नहीं दिया। स्टाम्प वेंडर भी दिन में जिला कलक्टर को ज्ञापन देंगे ।
इधर अधिवक्ताओं ने बी हाईकोर्ट बैंच की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया और न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया। रविवार को बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्य मंत्री की उदयपुर दौरे के दौरान अम्बियंस होटल मिलाने के लिए गा था। बार एसोसिएशन ने जिला प्रशासन से मुख्य मंत्री से मिलने का पहले ही टाइम लेरखा था घंटों तक एम्बिशयन होटल के बाहर मिलने के इंतज़ार में खड़े रहे जिसमे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत भी मौजूद थे। मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे ने प्रतिनिधि मंडल से मिलने के लिए समय तक नहीं दिया जिला प्रशासन के नुमाइंदे प्रतिनिधि मंडल को इधर से उधर घुमाते रहे। आखिर मुख्य मंत्री चली गयी और जाते जाते यह कह गयी “हाईकोर्ट बैंच नहीं मिल सकता” चीफ जस्टिस ने मना कर दिया। सरकार द्वारा कब चीफ जस्टिस को सिफारिश भेजी ? क्या लिखित में जवाब आया ? इस सम्बन्ध में कुछ भी नहीं बताया। पीछे चल रहे ग्रह मंत्री गुलाबचंद कटारिया, जलदाय मंत्री किरण माहेष्वरी और अन्य जनप्रतिनिधि भी इस सम्बन्ध में कुछ नहीं बोले। आक्रोशित अधिवक्ताओं ने आज आंदोलन छेड़ दिया और न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर कोर्ट चौराहे पर रास्ता जाम कर प्रदर्शन किया । आक्रोशित अधिवक्ताओं ने कोर्ट चौराहे पर दो घंटे तक ट्राफिक जाम रखा और जम कर प्रदर्शन किया। मानव श्रृंखला बनाई, टायर जलाकर अपने गुस्से का इजहार किया। चौराहे पर हुई सभा में संभागीय संयोजक शांतिलाल चपलोत, संभागीय सचिव अरूण व्यास, पूर्व संयोजक रमेश नंदवाना, बार अध्यक्ष भरत कुमार जोशी, महासचिव रामलाल जाट, जिला संयोजक सत्येन्द्रपाल सिंह छाबडा, भरत वैष्णव, कमलेश दवे, मन्नाराम डांगी, गोतम लाल सिरोहिया आदि ने मुख्यमंत्री पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया। वक्ताओं ने अगस्त 2014 में मुख्यमंत्री के उदयपुर प्रवास के दौरान किये गये वादे, आदिवासी अंचल के आधार पर हाईकोर्ट बैंच स्थापना सम्भव होने बाबत् दिये आश्वासन, विधि सचिव व मुख्य सचिव से बनाई रिपोर्ट के बावजुद उस पर डेढ वर्ष से कार्यवाही न करने एवं बिना किसी मंत्री मण्डलीय प्रस्ताव के, बिना उच्च न्यायालय अथवा केन्द्र सरकार को आधिकारिक रूप से अनुशंसा किये ही मुख्य न्यायाधीश द्वारा मांग को नामंजुर करने के वक्तव्य को छलावा मात्र कहते हुए इसे मेवाड वागड क्षेत्र की जनता का अपमान बताया। वक्ताओं ने जनप्रतिनिधियों द्वारा भी मुख्यमंत्री पर दबाव न बनाने, बिना अनुशंसा के ही मांग को निरस्त कर देने का विरोध न करने पर अफसोस जाहिर किया। अधिवक्ताओं ने जिला प्रशासन के नकारापन व प्रतिनिधिमण्डल का ज्ञापन दिला पाने में असफल रहे पर निन्दा प्रस्ताव पारित किया गया। वही मुख्यमंत्री के वक्तव्य की कड़ी आलोचना करते हुए उन्हे स्वयं के वादे एवं उनकी पार्टी के घोषणा पत्र, स्थानीय नेताओं की कसमों के मदे्नजर शीघ्र हाईकोर्ट बैंच स्थापना हेतु मंत्री मण्डलीय अनुशंसा करने की मांग की। संभागीय संघर्ष समिति की अतिशीघ्र बैठक बुलाकर आंदोलन के आगे की रणनीति तय की जावेगी।