उदयपुर, झीलों को प्रदूषणमुक्त एवं साफ सुथरा बनाये रखने के मद्देनजर भविष्य में किसी भी प्रकार की प्रतिमाओं का विसर्जन झीलों में नहीं किया जा सकेगा। यह निर्णय मंगलवार को उदयपुर के कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित शांति समिति की बैठक में लिया गया।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर रोहित गुप्ता ने कहा कि आगामी गणेश पर्व एवं नवरात्र के दौरान किसी भी हाल में मूर्तियों को झीलों में विसर्जित नहीं किया जाये। विसर्जन तिथि को पीओपी मूर्तियों को जल के छींटे देकर बाद में उन्हें नगर निगम के मार्फत रिसाइकल कर सामग्री निर्माण के उपयोग में लिया जा सकेगा।
झीलों में मूर्तियां विसर्जित न हो इस पर पुलिस की पैनी नजर रहेगी। संबंधित थानाधिकारियों को उनके क्षेत्र में प्रबुद्धजन से इसके लिए समन्वय बिठाने के निर्देश दिए गए। झीलों में मूर्ति विसर्जन के मुख्य दिवस पर झीलों में नावों का संचालन दोपहर पश्चात पूर्णतः स्थगित रहेगा। छोटी मूर्तियों को झील किनारे से ही छींटे लगाकर वापस कर दिया जायेगा। वहीं जहां बड़ी मूर्तियां हैं वे पंडाल में ही रहंेगी तथा उनके प्रतीक स्वरूप छोटी मूर्तियां ही झीलों के किनारे तक जा सकेंगी।
जिला कलक्टर ने कहा कि आगामी नवरात्र पर्व के लिए धातु की मूर्तियों अथवा तस्वीरों को ही पूजा में रखने की अनुमति दी जायेगी। मूर्ति निर्माताओं को भी पीओपी की मूर्तियां न बनाने के आदेश प्रशासन द्वारा जारी कर दिए जाएंगे, जिनकी सख्ती से पालना करनी होगी।
मूर्ति स्थापना स्थलों की सुरक्षा को लेकर पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल ने कहा कि इसका जिम्मा मूर्ति स्थापना समितियों को भी निभाना होगा। उन्होंने विसर्जन संबंधी कार्य शाम 7 बजे से पूर्व करने की बात कही जिससे मूर्तियों का सही तौर पर निस्तारण हो सके।
बैठक में शांति सदस्यों ने भी प्रशासन को हर आयोजन पर सकारात्मक सहयोग देने का आश्वासन दिया और उपयोगी सुझाव भी रखे। बैठक में अति. पुलिस अधीक्षक डॉ.राजेश भारद्वाज, एडीएम (सिटी) ओ.पी.बुनकर, यूआईटी सचिव रामनिवास मेहता, नगर निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी एवं शांति समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे।