उदयपुर। भारतीय लोककला मंडल द्वारा स्वामी विवेकानंद की जीवनी पर निर्मित कठपुतली नाटिका इन दिनों पूरे देश में धूम मचा रही है। अब तक देश के विभन्न शहरों में इस नाटिका के 70 मंचन हो चुके हैं। उल्लेखनीय है कि स्वामी विवेकानंद के 150वेें जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में रामकृष्ण मिशन के सौजन्य से लोक कला मंडल के सहायक निदेशक श्याम माली के निर्देशन में इस नाटिका को कला मंडल के सिद्घ हस्त कलाकारों द्वारा निर्मित किया गया है। लगभग 72 मिनट की इस नाटिका मे स्वामी विवेकानंद के बाल्यकाल से ब्रह्मलीन होने तक के जीवनवृत का काठ से बनी पुतलियों के माध्यम से सजीव प्रस्तुतीकरण किया गया है। काठ से बनी बेजान पुतलियों में प्राण फूंकती कलाकारों की अंगुलियां प्रत्येक आयु वर्ग के दर्शक को प्रस्तुती के अंत तक बांधे रख कर आज के आधुनिक मनोरंजन के साधनों को फिर चुनौती देती प्रतीत होती है।
कठपुतली नाटिका के पात्र अपनी भाव भंगिमाआें से संवाद के साथ सामंजस्य करते हुए एेसा प्रदर्शन करते हैं, मानो कोई सजीव पात्रा संवाद कर रहे हो और यह दृश्य दर्शकों में इसके प्रति उत्सुकता पैदा कर देते हैं।
नाटिका का कथानक, संवाद, पात्रों की वेशभूषा तथा प्रभावी श्रव्य-दृश्य मिश्रण के कारण दर्शक इसे बार-बार देखने को उत्सुक होता है। एेसे मे लुप्त होती यह कठपुतली कला आधुनिक मनोरंजन के साधनों के समक्ष पुन: चुनौती देती दिख रही है।
इस नाटिका के राजस्थान सहित दिल्ली, गुजरात, सौराष्ट्र, पंजाब तथा झारखंड राज्य के विभिन्न शहरों में अब तक 70 मंचन हो चुके हैं तथा आगामी जनवरी 2014 के अंत तक बंगाल, बिहार और छत्तीस गढ राज्यों के विभिन्न शहरों में 30 से अधिक प्रदर्शन प्रस्तावित है।
स्वामी विवेकानंद कठपुतली नाटिका देशभर में मचा रही है धूम
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