उत्तर भारत के पहले महिला विष्वविद्यालय, बीपीएस महिला विष्वविद्यालय, सोनीपत (हरियाणा) की मेनेजमैंट एवं कॉमर्स श्रेणी की अंतिम वर्ष की 35 छात्राएं एवं 3 फैकल्टि हिन्दुस्तान जिं़क द्वारा चलाये जा रहे महिला सषक्तिकरण अभियान ‘सखी’ को देखने के लिए, 800 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय कर उदयपुर पधारी। यह 35 छात्राएं राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेष व मघ्य प्रदेष की रहने वाली है।
हिन्दुस्तान जिंक के ‘सखी’ अभियान, जिसके अन्तर्गत हिन्दुस्तान जिंक ग्रामीण व आदिवासी महिलाओं के सामाजिक व आर्थिक सषक्तिकरण के लिए कार्य कर रहा है, इससे 6000 से अधिक ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हुई है। इन छात्राओं ने इन महिलाओं के सषक्तिकरण के बारे में पढ़ा व जानकारी ली तथा इन ‘सखी’ महिलाओं से मिलने का निर्णय किया।
हिन्दुस्तान ज़िक के हेड-कार्पोरेट कम्यूनिकेषन पवन कौषिक ने बताया कि बीपीएस महिला विष्वविद्यालय, सोनीपत से हमारे पास निरन्तर ‘सखी’ स्वयं सहायता समूहों को देखने की तथा इन ग्रामीण उद्यमी महिलाओं से मिलने का निवेदन आया था। हमने सहर्ष ही उसे स्वीकार किया तथा मटून में ‘सखी’ के अन्तर्गत चलाये जा रहे कार्योक्रमों को इन छात्राओं को दिखाया। मटून में ‘सखी’ महिलाएं अखबार के कागजों से बेहतरीन टोकरियों व अन्य साज-सज्जा का सामान बना रही है जो कि अपने आप में अनोखी कला है। कम लागत से बनने वाला यह सामान लोगों को बहुत प्रभावित कर रहा है।
साथ ही इसी ‘सखी’ स्वयं सहायता समूह में अनेकों महिलाएं सिलाई कढ़ाई से जुड़कर वस्त्र बनाने का कार्य भी कर रही है। मटून की और भी महिलाएं ‘सखी’ सहायता समूह से जुड़ने को तत्पर है तथा हिन्दुस्तान जिं़क ने उनके समूहों को बनाने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया है।
बीपीएस महिला विष्वविद्यालय, सोनीपत की 35 छात्राओं का नेतृत्व करने वाली प्राध्यापिका सुश्री ईषानी चौपड़ा ने कहा कि सभी छात्राएं ‘सखी’ ग्रामीण उद्यमी महिलाओं से मिलकर बहुत उत्साहित है तथा इनके निपुण कार्य को देखकर अचम्भित भी है। हिन्दुस्तान जिं़क अपने ‘सखी’ अभियान द्वारा ग्रामीण महिलाओं को सामाजिक व आर्थिक रूप से सषक्त करने के लिए व्यवसायिक प्रषिक्षण द्वारा इन ग्रामीण महिलाओं को एक उद्यमी के रूप में परिवरतित कर रहा है, यह बहुत ही सराहनीय कार्य है तथा ग्रामीण परिवारों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बेहद सफल साबित होगा।
अब तक कंपनी 475 ‘सखी’ स्वयं सहायता समूह बना चुकी हैं तथा इससे 6000 से अधिक ग्रामीण महिलाएं जुड़ चुकी है। ‘सखी’ के बनाये उत्पादों को खरीदने के लिए कई संगठन व विक्रेता संम्पर्क कर रहे हैं।