अंग्रेजी विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार ‘‘रीथिंकिंग महाभारतः कन्टेम्पररी कॉन्टेक्ट्स एण्ड टेक्ट्स’ के दूसरे दिन प्रथम सत्र में
प्रो. भीम सिंह दहिया चांसलर कुरूक्षेत्र युनिवर्सिटी कुरूक्षेत्र की अध्यक्षता में जवाहरलाल
वि.वि. के प्रो. सी. उपेन्द्र राव, ने महाभारत के उद्भव, संरचना और विस्तार को स्पष्ट करते हुए इसे पाँचवा वेद बताया एवं मनुष्य जीवन के चारों पुरूषार्थों धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का आख्यान बताया एवं नाट्यशास्त्र के रस सिद्धान्त की व्याख्या भी महाभारत के संदर्भ में की। इसी सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. तपन प्रसाद विस्वाल ने महाभारत के राजनीतिक संदर्भों की व्याख्या की। जवाहरलाल नेहरू वि.वि. के डॉ. रजनीश मिश्रा ने महाभारत को कर्त्तव्यों एवं भाषा का महाकाव्य बताया। महाराजा गंगा सिंह वि.वि.., बीकानेर के प्रो. सुरेश अग्रवाल ने रामायण एवं महाभारत को साथ पढ़ाए जाने पर जोर दिया एवं महाभारत के चार स्त्री पात्रों द्रौपदी, सुलमा, अम्बा और हिडिम्बा को आधार बनाकर महाभारत में स्त्री पात्रों के प्रतिनिधित्व पर प्रकाश डाला।
अग्रिम सत्र में डॉ. आशीष सिसोदिया, डॉ. रेखा तिवारी, डॉ. सीमा कश्यप और डॉ. वैभव शाह आदि ने महाभारत के विभिन्न प्रसंगों पर अपने विचार व्यक्त किये।
सेमिनार में रखी गई परिचर्चा में प्रो. जगबीर सिंह, प्रो. चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. नीरज शर्मा, सुविवि के रजिस्ट्रार डॉ. आर.पी. शर्मा ने महाभारत के अध्ययन के नवीन तरीकों के बारे में चर्चा की एवं इन्हें राष्ट्रीय अस्मिता, चेतना का महाग्रंथ बताया।
सेमिनार के समापन समारोह में मुख्य वक्ता प्रो. अवधेश कुमार सिंह, निदेशक, अनुवाद अध्ययन केन्द्र इग्नू, नई दिल्ली ने महाभारत की शाश्वतता व निरंतरता को उसके क्रमिक विकास के साथ श्रोताओं को बताया। उन्होंने महाभारत की कौशाम्भी द्वारा की गई समालोचना का संदर्भ देते हुए कहा कि महाभारत ही स्वयं इस काव्य की सर्वोत्तम समालोचना है। उन्होंने महाभारत भारतीय ज्ञान परंपरा एवं इस संसार को समझने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम बताया।
कार्यक्रम के अंत में प्रो. सीमा मलिक ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार
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