उदयपुर
पारंपरिक तरीके से चल रही लेकसिटी की सफाई व्यवस्था को हाईटेक करने के लिए चेन्नई महानगर पालिका में चल रही आधुनिक व्यवस्था अपनाने की तैयारी है।
वहां की व्यवस्था को समझने के लिए जिला प्रशासन ने एक प्रतिनिध चेन्नई भेजा है। वहां विशेष एप के जरिए सफाई व्यवस्था पर प्रभावी और तत्काल रखी जाने वाली निगरानी रखी जा रही है।
जिला प्रशासन भी आईटी एक्सपर्ट से एेसा एप बनवा रहा है, जो जनता के उपयोग भी आएगा। इस एप को मोबाइल में डाउनलोड कर इसमें दिए विकल्प के अनुसार समस्या का मौके पर फोटो खींचकर भेजा जा सकेगा।
कचरा, नाली से उफनता गंदा पानी, खराब सड़क, टूटे डिवाइडर, अवैध निर्माण, कब्जा आदि समस्याओं के विकल्प एप में दिए जाएंगे।
संबंधित समस्या का फोटो लोग खींचकर संबंधित विकल्प पर भेजेंगे। यह फोटो सीधे सेन्ट्रल सर्वर पर भी जाएगा और निस्तारण करने वाले अधिकारी के पास भी।
उल्लेखनीय है कि चेन्नई पेटर्न पर ऑनलाइन निगरानी के लिए शुरू की जाने वाली व्यवस्था को लेकर सर्वप्रथम राजस्थान पत्रिका ने हाल ही 5 मार्च को ‘लेकसिटी चेन्नई से सीखेगी सफाई के गुरÓ समाचार प्रकाशित किया था।
प्रशासन की कोशिश है मार्च में नई सफाई प्रणाली पर पूरा काम करके इसे अगले महीने में शुरू किया जा सके। चेन्नई महा नगर पालिका में सभी सफाई कर्मचारियों को एन्डराएड बेस्ड मोबाइल दिए हुए हैं, जो वहां इस एप पर खुद फोटो खींचकर एक तरह से फील्ड से अपनी हाजिरी लगाते हैं और काम भी बता देते हैं कि उन्होंने संबंधित क्षेत्र में सफाई कर दी है।
इस काम की जांच वहां तैनात इंस्पेक्टर भी फोटो खींचकर एप पर भेजकर करते हैं। प्रशासन ने वाहनों में जीपीएस लगाने की पहल जिले में चल रही सभी 32 104-एम्बुलैंस में की है।
सभी एम्बुलैंस की जीपीएस पद्धति से रिपोर्ट ली गई है कि वह कब और कहां तथा कितनी चली हैं। एम्बुलैंस चालकों द्वारा भरी गई लॉगबुक की एंट्री का जीपीएस डाटा से मिलान कर लिया गया है। इस हिसाब से यह प्रयोग सफल साबित हुआ है।