किसान हितैषी तकनीकों के व्यवसायीकरण की आवश्यकता – डॉ. एस. अय्यपन

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DSC_7180अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना का सफल समापन
उदयपुर. अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना का समापन सत्र आज रविवार को आरसीऐ मे संपन्न हुआ जिसमें मुख्य अतिथि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. एस. अय्यपन तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. ए. के. गहलोत, माननीय कुलपति, राजस्थान वेटेरीनरी विश्वविद्यालय, बीकानेर उपस्थित थे।
डॉ. अय्यपन ने वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कहा कि उष्ण और उपोष्ण फलों की उन्नत प्रौद्योगिकी के साथ मूल्य संवर्धन कर तकनीकों के व्यवसायिकरण को किसान हितैषी बनाने पर जोर दिया साथ ही नई चुनौतियों पर अनुसंधान करने की आवश्यकता जताई। विशिष्ट अतिथि डॉ. एस. एल. मेहता, पुर्व कुलपति, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर ने वैज्ञानिको को संबोधित करते हुए कहा कि उदयपुर में राजस्थन को मेवाड़ क्षेत्र में अनार उत्पादन प्रौद्योगिकी व सीताफल के गूद्दा निष्कर्षण व भंडारण की सफल कहानी बताई। विशिष्ट अतिथि राजस्थान वेटेरीनरी विश्वविद्यालय बीकानेर के माननीय कुलपति डॉ. ए. के. गहलोत ने राजस्थान के शुष्क क्षुत्रों के लिऐ फलों की उन्नत किस्मो पर अनुसंधान की आवश्यकता जताई।
तकनीकी सत्र की अध्यक्षता आईसीएआर के उपमहानिदेशक (उद्यान विभाग) डॉ. एन के कृष्ण कुमार ने की तथा परियोजना निदेशक, आईसीएआर, डॉ. प्रकाश पाटिल ने समन्वित फल अनुसंधान परियोजना के विभिन्न सत्रों की कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण प्रेषित करते हुए भविष्य की अनुसंधान कार्य योजना को अनुमोदन किया। किसानों के साथ विचार विमर्श सत्र की अध्यक्षता डॉ. आर. ए. कौशिक, कार्यक्रम समन्वयक एवं डॉ. वीरेन्द्र सिंह, सहायक प्राध्यापक ने की। सत्र के दौरान उदयपुर क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों मावली के श्री लहरी लाल, लोयरा उदयपुर के श्री जगदीश डांगी व श्री देवी लाल, डूंगपुर के श्री नन्द किशोर त्रिवेदी, ने चर्चा मे सक्रिय रूप से भाग लिया।
अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित चार दिवसीय, द्वितीय समूह परिचर्चा की मुख्य अनुशंसाएं इस प्रकार रही-
आम की एन्थ्रेफेनोज व पुष्पन अंगमारी नियंत्रण हेतु मेन्कोजेब ़ कार्बेन्छिजम दवा दर 0.2 प्रतिशत का छिड़काव प्रभावी रहा।
अमरुद के उखटा रोग नियंत्रण में ट्राईकोडर्मा किरिडि जैव नियंत्रक को गोबर खाद के साथ मिलाकर रोपण के समय 5 कि.ग्रा. प्रति वृक्ष तथा बाद में 10 कि.ग्रा. प्रति वृक्ष देना लाभकारी है।
सघन बागवानी में दोहरी कतार विधि में पौध रोपण कर आम, अमरुद, लीची फलों की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं।
सूक्ष्म पोषक तत्वों में जिंक, बोरोन, आयरन विभिन्न फलों मुख्यतः पपीता व केला में उपज व गुणवत्ता में वृद्धि में सहायक होते हैं।
भविष्य के नए प्रयोगों में प्राथमिकता-
प्रसंस्करण उद्योग मे अमरूद की लाल गूदे वाली किस्म की जबरदस्त मांग है अतः सघन बागवानी मे अमरूद की ललित किस्म इसका उत्तम विकल्प है।
विभिन्न फलदार फसलों में मौसम आधारित पूर्वानुमान मॉडल तैयार करना।
पुराने बगीचों के जीर्णोद्वार व केनोपी प्रबंधन तकनीक विकसित करना।
मुख्य व सूक्ष्म पोषक तत्वों की फर्टिगेशन तकनीक व सूचकांक।
जलवायु परिवर्तन में पुष्पन व फलन व्यवहार का अध्ययन।
तुड़ाई उपरान्त प्रमुख किस्मानुसार फलों में क्षति की गणना करना।

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
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