उदयपुर ,चिकित्सकीय भाषा में कहते हें कि जब बीमारी हद से पार निकल जाये तो फिर दवाओं की नहीं मानसिक खुशी की जरूरत होती हैं। कुछ ऐसी ही मन की मुराद पुरी की गई कैंसर से जूझ रहे 17 वर्षिय हेमन्त लोहार नाम के युवक की। केंसर के चैथे स्टेज में गंभीर बीमारी से लड रहे हेमंत को आज उसकी इच्छा पुरी करने के लिये पेर्सििफक मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल ने कॉलेज का प्राचार्य बनाया गया।
उदयपुर के पेर्सििफक मेडिकल काॅलेज एण्ड हाॅस्पीटल में आज नजारा कुछ बदला बदला सा नजर आया। अमूमन प्रचार्य की कुर्सी पर बैठने वाले डॉं एस एस सुराणा के बजाय उनकी कुर्सी पर बैठा 17 वर्षिय युवक हेमन्त लोहार। यहीं नही प्रचार्य कक्ष की नेम प्लेट पर भी आज इसी युवक का नाम था। दरअसल केंसर के अंतिम स्टेज में मौत से जिन्दगी पाने के लिये जुझ रहे उदयपुर के गोगुन्दा तहसील के निवासी 17 वर्षिय हेमन्त की इच्छा मेडिकल कॉलेज का प्रचार्य बनने की थी। हेमंत का इलाज कर रहे चिकित्सकों को जब उसकी यह इच्छा पता चली तो उन्होंने तुरंत प्रबंधन से इस केंसर पीडित युवक की इच्छा पुरी करने की अपील की। फिर क्या था आज का दिन हेमन्त के लिये मेडिकल कॉलेज का प्रचार्य बनने के लिये मुकर्रर किया गया और उसने भी प्राचार्य के तेवर अपनाते हुए मेडिकल कॉलेज के छात्रों को खुब पढने और बुराईयों से दुर रहने की सीख भी दी। हेमन्त जब प्राचार्य का पद ग्रहण करने के लिये कॉलेज में प्रवेश कर रहे थे तो गार्ड ने भी हेमन्त को सेल्यूट कर सम्मान भी दिया।
यहीं नहीं मेडिकल कॉलेज के स्थाई प्राचार्य डॉं एस एस सुराणा भी इस युवा के यह कुसी संभालने से ना केवल रिलेक्स नजर आये बल्कि केंसर पीडित युवक की इच्छा पुरी होने पर उन्होंने खुशी जताई। यहीं नहीं डॉं सुराणा ने साफ किया कि उनकी मंशा ऐसे बच्चों की हर मुराद पुरी करने की रहेगी।
बहरहाल कैंसर की गंभीर अवस्था में जिंदगी और मौत से जुझ रहे हेमन्त लोहार को एक दिन का प्राचार्य बनने का यह सुख शायद लाखों रूपयों की उन दवाईयों से भी ज्यादा कारगार साबित होगा जिन दवाईयों को खरिदने की स्थिति आर्थिक रूप से कमजोर उसके परिवार की नहीं है। हालांकि चिकित्सकीय प्रबंधन ने हेमन्त का समस्त इलाज निशुल्क करने का एलान कर दिया है।
इस अवसर पर संस्थान के प्रिसिपल एवं नियत्रंक डाॅ.एस.एस.सुराणा, प्रिसिडेन्ट डाॅ.डी.पी.अग्रवाल, सर्जरी विभाग के हैड डाॅ के.सी व्यास सहित सभी विभागो के विभागाध्यक एवं फैकल्टी मौजूद थे।