जयपुर जिले के कई सरकारी स्कूलों में सफाई कर्मचारी नहीं होने के कारण दलित विद्यार्थियों से टॉयलेट साफ कराए जा रहे हैं।
कोर्ट के आदेश पर स्वयंसेवी संगठन की ओर से तैयार रिपोर्ट में इस स्थिति पर गंभीर चिंता जता इसे छुआछूत और जाति भेदभाव का खुला रूप बताया गया है।
हाईकोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
सरकारी स्कूलों में टॉयलेट नहीं होने से बालिका ड्रॉप आउट पर राधा शेखावत की ओर से जनहित याचिका लगाई गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ याचिका पर सुनवाई कर रही है। एनजीओ भारत ज्ञान विज्ञान समिति ने जयपुर जिले के 138 सरकारी स्कूलों में टॉयलेट्स पर रिपोर्ट तैयार की है।
यह भी रिपोर्ट में
स्कूलों में 56 फीसदी लड़कियां हैं, लड़कों को निजी स्कूलों में भेजा जाता है।
विद्यार्थियों में 87 प्रतिशत एससी-एसटी, आेबीसी या अल्पसंख्यक वर्ग से।
24 प्रतिशत स्कूलों में टॉयलेट नहीं, 75 प्रतिशत में पानी नहीं होने से गंदगी।
87 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों का एक ही टॉयलेट अथवा है ही नहीं।
48 प्रतिशत स्कूलों में बच्चों के टॉयलेट पर स्टाफ का कब्जा।