देश में प्रतिदिन औसतन ४०० लोग मरते है सडक दुर्घटनाओं में
उदयपुर ’’विश्व के कुल वाहनों की संख्या में से १० प्रतिशत वाहन भारत में है लेकिन इसके बावजूद विश्व के मुकाबले में भारत में सडक दुर्घटनाओं की संख्या १० प्रतिशत है जो आश्चर्यजनक है। देश में प्रतिदिन औसतन ४०० से अधिक लोग सडक दुर्घटनाओं में मरते है और ५ लाख लोग घायल होते है।
उक्त बात रोटरी क्लब उदयपुर द्वारा रोटरी बजाज भवन में आयोजित सडक सुरक्षा-समुदाय संवेदीकरण और परिवार की भूमिका विषयक वार्ता को संबोधित करते हुए मुस्कान स्वयंसेवी संस्था के अश्विनी बग्गा ने कही। उन्होंने कहा कि देश में १९८८ में बने मोटर व्हीकल एक्ट वर्तमान परिप्रेक्ष्य की परिस्थितियों के मद्देनजर अप्रभावी हो गया है। देश में सडक दुर्घटनाओं की बढती संख्या के सामने देश की अन्य समस्याएं गौण हो गयी है।
उन्होंने बताया कि वर्ष २००५ में भारत-चीन में सडक दुर्घटनाओं में मृत्यु दर बराबर थी लेकिन आज यह आंकडा चीन से कहीं आगे निकल चुका है। देश में सडक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए व्यक्ति को स्वयं आगे आना होगा। मानवीय गलतियों से सबक लेते हुए उस पर नियत्रंण पाना होगा।
दुर्घटना के बाद किये जाने वाले तात्कालिक उपायों एंव उपचार के बारें में बताते हुए आरएनटी मेडकील कॉलेज के एनेस्थेसिया विभाग के चिकित्सक डॉ. ललित रेगर ने कहा कि दुर्घटना के बाद उससे प्रभावित व्यक्ति का प्रथम १ घंटा काफी उपयोगी होता है यदि उसे उस समय तात्कालिक उपचार या बचाव के उपाय मिल जाए तो उसका जीवन बचाया जा सकता है। प्रभावित व्यक्ति को मस्तिष्क, ह्दय एंव फेंफडे को तुरन्त रक्त प्रभाव या ऑक्सीजन दिलाने के उपाय किये जाने चाहिये। व्यक्ति को गलत ड्राईविंग करने, कम उम्र में ड्राईविंग से बचने, शराब सेवन या ड्रग ले कर वाहन चलाने से बचना चाहिये। उन्होंने बताया कि घायल व्यक्ति का ३. बार सीने को दबा कर २ बार अपने मुंह से उसके मुंह में श्वंास देकर उसे बचा सकते है।
मानवीय भूल से होती है अस्सी प्रतिशत सडक दुर्घटनाएं
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