उदयपुर, ’जिन्दगी मे सबसे बडा सुख यही हैं कि भक्त भगवान से मिल जाये, इससे बडा सुख कोई नही। पल-पल मे भगवान का ध्यान करे, राम के नाम का, भगवान के नाम का जाप करो तो सभी रोग, व्याधियां जड से समाप्त हो जायेगी। भगवान की सेवा करो तो तन-मन-धन से करो, मन एक पल के लिए भी विचलित नही होना चाहिये फिर तो गोविन्द और हम, तीसरा बीच मे कोई होना ही नही चाहिए। भगवान का कोई आकार नही होता जैसे पानी को जेसे बर्तन मे डालो वो वेसा आकार ले लेता है वेसे ही भक्त की जैसी भावना होती है भगवान उस आकार मे ही हो जाता है।’
यह बात पंडित दुर्गेश शास्त्री महाराज ने उदयपुर के ठोकर चौराहा पर स्थित रेलवे ग्राउण्ड मे आयोजित भागवत कथा के छठे दिन कही। उन्होंने सुक देव जी द्वारा राजा परिक्षित को सुनाई जा रही भागवत कथा को आगे बढाते हुए छठे दिन की कथा मे रास पंचाध्याय का वर्णन किया। वर्णन के साथ ही भक्त मण्डली द्वारा रास पंचाध्याय का मंचन भी किया गया। कथा मे रूकमणि विवाह के प्रसंग को जब दुर्गेश शास्त्री ने अपनी मधुर वाणी मे सुनाया तो पांडाल मे बेठे सभी भक्तगण जय राधे, जय कृष्ण के जयकारे लगाते रहे। रूकमणि विवाह के मंचन से भागवत कथा पांडाल मे ऐसा सुन्दर वातावरण बन गया मानो वास्तविक रूप मे श्रीकृष्ण और रूकमणि का विवाह हुआ। रूकमणि विवाह मे सभी भक्त गण षामिल हुए और कन्हैया तोरी मेहन्दी प्यारी सी लागेे…. , आज मेरे ष्याम की षादी है… भजनो पर खुब झूमे। रूकमणि विवाह की खुशी मे भक्तो द्वारा पुष्प वर्षा से पूरा वातावरण सुगंधित हो उठा।
धीरेन्द्र सचान मंजू सचान ने किया रूकमणि का कन्यादान : रूकमणि विवाह के साक्षी बने भागवत कथा के भक्तगणो के साथ ही मुख्य आयोजक धीरेन्द्र सचान, मंजु सचान ने रूकमणि का कन्यादान किया साथ ही अपने उद्बोधन मे कन्या भ्रण हत्या को अभिशाप बताते हुए माताओं और बहनो से आहवान किया की कन्या भू्रण हत्या जेसा अपराध ना करे। परम पिता परमात्मा ने जिस जीव को धरती पर भेजा हैं उसे मारने का हमे कोई हक नही इसलिए संकल्प ले की कन्या भू्रण हत्या ना करेगे ना किसी को करने देगे।
रूकमणि विवाह के साक्षी बने हजारो भक्तगण
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