इन बिंदुओं के आधार पर होगी पढ़ाई
विद्यार्थियों के लिए ‘मिशन 100 प्रतिशत’
बांसवाड़ा| सरकारीस्कूलों में पढ़ने वाले दूसरी कक्षा के बच्चों में सामान्य भाषा ज्ञान और पढ़ाई के प्रति रुझान विकसित करने के लिए अब इस कक्षा के बच्चों को चुन्नी और मुन्नी की शरारतें सुनाई जाएगी। इसके लिए अलग से पुस्तक तैयार की है। चुन्नी और मुन्नी यह दोनों ही छिपकलियों का नाम है। जिन्हें सर्वशिक्षा अभियान ने बच्चों में सामान्य भाषा को विकसित करने के लिए पढ़ाई का माध्यम चुना है। इसके साथ ही विभाग समझ के साथ ही स्वयं की सोच भी विकसित करना चाहता है। इसी वजह से छिपकली की दोस्ती, शरारतें और उनके क्रियाकलापों को भी बच्चों को समझाने का माध्यम चुना है।
यह छोटी सी किताब राज्य प्रारंभिक शिक्षा परिषद और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने तैयार की है। हाल ही में स्कूलों में बांटने के लिए आई हुई इस छोटी सी पुस्तक को हर कोई पढ़ना पसंद कर रहा है। एडीपीसी उमेश अधिकारी ने बताया कि इस छोटी सी किताब के माध्यम से छोटे बच्चे जल्द ही बहुत कुछ सीख सकते हैं, साथ ही स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक शिक्षिकाएं इसे अपनी लोकल भाषा की बदौलत अच्छे से समझाने का प्रयास करेंगे।
इस तरह की सामग्री शामिल
पुस्तकके अनुसार एक दिन चुन्नी गुस्से में मुन्नी की पूंछ काट लेती है। जिसे गायब होने के बाद दोनों भाई बहन लगातार इसके बारे में सोचते हैं। उनकी यह सोच तब तक रहती है, जब तक छिपकली की नई पुंछ नहीं आती है। इसके पीछे बताने का कारण यही है कि बच्चों के मन में यह भी नॉलेज विकसित हो सके कि छिपकली की पूंछ गायब होने के बाद दुबारा वापस जाती है।
जानवरों के प्रति प्रेम को दर्शाएगा
दूसरीओर इसके माध्यम से आम बच्चों के जानवरों के प्रति प्रेम भाव को भी दर्शाया गया है। इस किताब में माधव और काजल दो भाई बहन हैं, जिनके घर में दो छिपकली रहती हैं, जिन्हें चुन्नी और मुन्नी नाम दिया है। इनकी शरारतें, उनके क्रियाकलाप को ही पुस्तक का आधार माना गया है। अधिकारी बताते हैं कि किताब छोटी सी है, लेकिन सीखने के लिए बहुत कुछ देती है। इस पुस्तक में दोस्ती है, तो जानवरों के प्रति प्यार भी है। साथ ही भाई और बहन और छिपकलियों के प्रति जो स्नेह है, वह आमजन में सीखने के लिए बहुत कुछ है।
मॉनिटरिंग – जिलास्तर से ही इस संबंध में मॉनिटरिंग की जा रही है। इसके लिए एसडीएम सहित सहायक परियोजना अधिकारी भी निगाह रख रहे हैं। 15 दिनों में एक बार समीक्षा बैठक द्वारा भी जानकारी ली जा रही है।
प्रतिदिन प्रेक्टिस – वार्डनोंको यह जिम्मेदारी दी गई है कि मॉडल पेपर के माध्यम से प्रतिदिन कम से कम 2 से 3 घंटे तक बोर्ड कक्षाओं के विद्यार्थियों को प्रेक्टिस कराए और सप्ताह में एक टेस्ट भी ले।
परीक्षा पैटर्न – परीक्षासे पूर्व ही बच्चों को परीक्षा के पैटर्न के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। जिसमें किस स्तर के, किस प्रकार के और कैसे-कैसे प्रश्न परीक्षा में पूछे जाते हैं। इसी आधार पर तैयारी होगी।
मॉडल पेपर – विभागने बोर्ड कक्षाओं के मॉडल पेपर प्रत्येक वार्डन को दिए है। जिसमें पिछले 5 से 3 वर्ष के पेपर दिए गए है और बोर्ड में संभावित महत्वपूर्ण प्रश्न का विवरण दिया हुआ है।
एजुकेशन रिपोर्टर | बांसवाड़ा
टीएडी(जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग) द्वारा संचालित हॉस्टलों में अब मिशन 100 प्रतिशत चलेगा। इसके लिए चार बिंदुओं पर काम शुरू कर दिया है। मिशन के तहत यहां रहकर पढ़ रहे विद्यार्थियों को शत प्रतिशत सफलता दिलाना है। विभाग बोर्ड कक्षाओं में सभी विद्यार्थियों को सफल करने के लिए इन बिंदुओं के आधार पर तैयारी करवाएगा। मार्च में प्रारंभ हो रही बोर्ड परीक्षाओं के लिए अभी से ही विभाग ने मॉनिटरिंग सिस्टम शुरू कर दिया है। इस पहल में कलेक्टर के साथ ही उपखंड स्तर पर कार्यरत एसडीएम को भी शामिल किया गया है। वहीं, कर्मचारियों से भी सलाह ली जा रही हैं।
वार्डनोंको जिम्मेदारी, रोज लिया जा रहा फीडबैक
इसअभियान के बाद 59 हॉस्टलों को स्थानीय स्तर पर संचालित करने वाले वार्डन एक्टिव हो गए हैं। उन्होंने निर्देशों के अनुसार काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि कुछ ऐसी भी होस्टलें हैं, जहां अभी भी बहुत कुछ काम करने की जरूरत है, लेकिन अभियान में लोकल स्तर पर वार्डनों को भी मिशन 100 प्रतिशत का टारगेट पूरा करना है, अन्यथा प्रतिनियुक्ति होने की वजह से सीआर रिपोर्ट पर भी फर्क पड़ सकता है।
टीएडी के सहायक परियोजना अधिकारी भुवनेश पंड्या ने बताया कि सभी वार्डनों को यह टारगेट दिया गया है। हम लोग प्रतिदिन औसत 5 से ज्यादा हॉस्टलों को लेकर प्रत्येक बच्चे के बारे में फीडबैक ले रहे हैं।
^हमनेटारगेट फिक्स कर दिया है। हमारा प्रयास यही है कि टीएडी हॉस्टलों में रहने वाले सभी बोर्ड विद्यार्थियों का परीक्षा परिणाम शत-प्रतिशत रहे। इसके लिए अलग-अलग स्तर पर प्रयास चल रहे हैं। -रुक्मणि रियार, जिला परियोजना अधिकारी और एसडीएम।