उदयपुर, यहां हवाला गांव स्थित ग्रामीण कला परिसर शिल्पग्राम में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित ‘‘शिल्पग्राम उत्सव-2014’’ में सोमवार को दूसरे दिन हाट बाजार में खरीददारी का सिलसिला शुरू हुआ। वस्त्र संसार, जूट बाजार, मृण शिल्प में लोगों ने खरीददारी की।
उत्सव में सोमवार को मेला प्रारम्भ होने के साथ ही लोगों की आवाजाही प्रारम्भ हुई तथा लोगों ने शिल्पग्राम के हाट बाजार का मुआयना कर खरीददारी की। वस्त्र ससार में लोगों ने बेड शीट, कुशन कवर, साड़ियाँ, विभिन्न परिधान खरीदे वहीं जूट बाजार में जूट के बैग्स, वाटर बॉटल कवर, लंच बॉक्स कवर, जूट के आभूषण, नॉर्थ ईस्ट बाजार में केन बैम्बू के बने सोफा सैट, कलात्मक टोकरियाँ, मृण कुंज में मिटटी की कला कृतियों आदि की खरीदारी की गई। हाट बाजार में ही लागों ने अमरीकन भुुट्टे, ढोकला, दाल बाटी, मक्का की रोटी आदि का लुत्फ उठाया।
हाट बाजार में दोपहर में ही बम रसिया कलाकारों ने लोक वाद्य बम की थाप पर फाग व रसिया गीत सुनाये वहीं मेवाड़ अंचल की गवरी को देखने काफी लोग एकत्र हो गये। बीच-बीच में मशक वादकों व महाराष्ट्र से आये लेझिम कलाकारों ने मेलार्थियों का ध्यान खींचा।
हाट बाजार में जहां बहुरूपिया कलाकारों ने लोगों का मनोरंजन किया वहीं दूसरी ओर जादूगर की कला देखने के लिये लोगों की खासी भीड़ रही। बाल ंसंसार में बालकों ने जादुई खेल पर बुद्धि कौशल दिखाया तो कागज़ से मुखौटों का सृजन किया। संगम सभागार में चित्र प्रदर्शनी को भी आगंतुकों ने सराहा।
शिल्पग्राम परिसर में तमिलनाडु के शिल्पकार तंगैया व उनके गुरू व हाल ही में तुलसी पुरस्कार से सम्मानित एम. रंगराजन की बनाई वृहद आकार की मृण कला कृतियाँ जिसमें देव मिन्नड़ियान, नंदी, मत्स्य कन्या तथा बिहार के लाला पंडित की बनाई कृतियों में गरूड़ आदि लोगों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। इन कृतियों के साथ लोगों ने फोटो भी खिंचवाये। तंगैया अपनी कलाकृतियों के बारे में बड़े गर्व से लोगों को बताते हैं।
रंगमंच पर गिद्दा ने रंग जमाया, लोक नाद में गूुजे दो दर्जन से ज्यादा वाद्य
उदयपुर 22 दिसम्बर। पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शिल्पग्राम उत्सव-2014 की दूसरी शाम रंगमंच पर पंजाब से आये गिद्दा नर्तकियों ने अपनी अठखेलियों से दर्शकों का मनोरंजन किया तथा जम्मू कश्मीर से आये कलाकारों ने रौफ नृत्य से कश्मीर की वादियों का मनोरम नजारा प्रस्तुत किया। वहीं वाद्य यंत्रों पर आधारित सिम्फनी ‘‘लोक नाद में दो दर्जन से ज्यादा वाद्य यंत्रों ने अपनी उत्कृष्ट उपस्थिति दर्ज करवाई।
मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत गैर नृत्य से हुई इसके बाद मध्यप्रदेश के कलाकारों ने बैगा करमा नृत्य से अपनी जनजातीय परंपरा को दर्शाया। कार्यक्रम में ही पुद्दुचेरी का वरई नटनम मोहक प्रस्तुति बन सकी वहीं पंजाब की नर्तकियों ने गिद्दा नृत्य में ढोल की थाप पर अपनी मस्ती व अठखेलियों से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। विवाह के अवसर पर किये जाने वाले इस नृय में महिलाएँ घर में रह कर विभिन्न प्रकार की हंसी मजाक करते हुए नृत्य करती है। कार्यक्रम में ही पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र द्वारा तैयार विशेष प्रस्तुति ‘‘लोक नाद’’ में केन्द्र के सदस्य राज्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के गोवा के दो दर्जन से ज्यादा वाद्यों ने एक सुर एक ताल में प्रस्फुटित स्वर ध्वनि से वातावरण को आकर्षक बना दिया। इस विशेष प्रस्तुति में 40 लोक वादको ने लोक वाद्य सारंगी, कमायचा, ढोलक, खड़ताल, अलगोजा, ढोल, सुरिन्दा, मोरचंग, मुरली, चौतारा, मटका, भपंग, सरनाई, सुंदरी, ढोल, ताशा, घुम्मट, ढोलकी, तुनतुना, संबळ, मजीरा, डफ, पावरी आदि वाद्यों पर अपना फन दिखाया।
कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर का रौफ नृत्य दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया। जम्मू कश्मीर में उत्सवों अवसर पर किये जाने वाले इस नृत्य में नर्तकों ने अपनी खुशी का इजहार अनूठे अंदाज में कर जम्मू की संस्कृति को दर्शाया। कार्यक्रम में इसके अलावा गुजरात का वसावा होली, ऑडीशा का गोटीपुवा, पश्चिम बंगाल का बाउल गायन इत्यादि प्रस्तुतियाँ उल्लेखनीय हैं।