कलाकारों और शिल्पकारों की प्रोत्साहन स्थली बनें शिल्पग्राम: माननीय राज्यपाल
उदयपुर,राज्यपाल माननीय श्री कल्याण सिंह ने कहा है कि प्राकृतिक सुन्दरता के मध्य लोक कलाओं को दर्शाते शिल्पग्राम कलाकारों और शिल्पकारों की प्रोत्साहन स्थली बने और देश के कोने-कोने से शिल्पकार और कलाकार यहां आकर अपनी कला का प्रदर्शन करें। माननीय राज्यपाल रविवार को यहां पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से यहां हवाला गांव स्थित कला परिसर शिल्पग्राम में दस दिवसीय ‘शिल्पग्राम उत्सव-2014’ के शुभारंभ समारोह को संबोधित कर रहे थे। समारोह में गृह मंत्री गुलाबचंद कटारिया विशिष्ट अतिथि थे।
राज्यपाल श्री सिंह मुक्ताकाशी रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर गये जहां उन्होंने गणेश प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया व लोक कला बम रसिया में प्रयुक्त वाद्य यंत्र विशालकाय बम (नगाड़ा) बजा कर उत्सव का उद्घाटन किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारी लोक कलाएं वैभवशाली व विविध हैं। यहां की समृद्ध शिल्प परंपरा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए व गांव-देहात के शिल्पकारों एवं लोक कलाकारों को आगे बढ़ाने की पहल करनी होगी। देश-विदेश से भी लोग भारत की लोक संस्कृति को देखने यहां आयें। लोक कलाओं व लोक कलाकारों में इससे उत्साह आऐगा।
उन्होंने इस उत्सव में अलग-अलग राज्यों से पहुंचे कलाकार व शिल्पकारों का स्वागत किया और शुभकामनाएं दी कि यह उत्सव युवा पीढ़ी में कला के बीजारोपण का सशक्त माध्यम बने। उन्होंने उत्सव में जन भागीदारी बढ़ाने के पूरे प्रयास करने का आह्वान करते हुए कहा कि नौनिहालों को लोक कलाओं को दिखाया जावे।
उन्होंने लोक कलाओं को युवा अपना स्व-रोजगार बना सके, इसके लिए समुचित प्रशिक्षण, जागरूकता शिविर और उत्साहवर्धन कार्यक्रम भी आयोजित करने की आवश्यकता जताई।
समारोह के विशिष्ट अतिथि गृह मंत्री श्री गुलाबचन्द कटारिया ने कहा कि भारतीय संस्कृति में विविधता में एकता दिखाई देती है। उन्होंने देश की कला संस्कृति, भाषा, खान-पान आदि की प्रशंसा की एवं भारत के योग्य बालकों का गुणगान किया। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान भविष्य में बहुत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी कला एवं संस्कृति के माध्यम से देश का मान बढ़ाएंगे। उन्होंने विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों को शुभकामनाएं दी।
इसके बाद ऑडीशा से आये बाल नर्तकों ने गोटीपुवा नृत्य में अपनी दैहिक भंगिमाओं से दर्शकों का मन मोह लिया। कन्या का रूप धरे बालकों ने ‘बंधा’ में विभिन्न मुद्राओं व संरचनाओं मंच पर नयानाभिराम दृश्य सृजित किया। इसके बाद मध्यप्रदेश की करमा जन जाति के नर्तकों ने बैगा करमा नृत्य में प्रणय निवेदन को आदिम अंदाज में दिखाया।
इस अवसर पर ही गोवा का देखणी नृत्य मोहक प्रस्तुति बन सका। प्रस्तुति में नर्तकियाँ मछुआरे को नदी पार करवाने के लिये प्रलोभन देती है तथा बाद में सबको नदी पार करवा देता हैं। उत्तराखण्ड का घसियारी नृत्य कार्यक्रम की लुभावनी प्रस्तुति थी। दुल्हन वेश में सजी संवरी बालाओं ने खेत खलिहान को उदयपुर में रूपायित किया। उत्तर प्रदेश का मश्ूर नृत्य कार्यक्रम में दर्शकों का प्रमुख आकर्षण रहा। नृत्य में लोक कलाकारों ने मयूर बन कर भगवान श्रीकृष्ण को नृत्य करते हुए दर्शाया व राधा कृष्ण की मनोरम झांकी प्रस्तुत की। कार्यक्रम में इसके अलावा पश्चिम बंगाल का बाउल गायन, जम्मू कश्मीर का रौफ, पुद्दुचेरी का वीरई नटनम, पंजाब का गिद्दा, गुजरात का वसावा होली आदि नृत्य दर्शाये गये। कार्यक्रम का संयोजन ब्रजमोहन तूफान व हिमानी जोेशी द्वारा किया गया।
इस मौके पर पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक श्री मोहम्मद फुरकान खान ने बताया कि दस दिवसीय उत्सव के दौरान उदयपुर तथा यहां आने पर्यटकों को 21 राज्यों की कला शैलियों से रूबरू होने का अवसर मिलेगा वहीं भारत के विभिन्न राज्यों की कलात्मक वस्तओं को देखने, परखने व खरीदने का अवसर मिल सकेगा। समारोह में बड़ी संख्या में शिल्पकार, कलाकार और शहरवासी मौजूद थे।