निगम की कार्रवाई से अतिक्रमियों में हड़बड़ी, तैयाबिया स्कूल की जमीन पर निर्मित काम्पलेक्स की चौथी अवैध मंजिल पर चला हथौड़ा
उदयपुर। नवनियुक्त महापौर चंदरसिंह कोठारी द्वारा अतिक्रमण, अवैध और नियम विपरीत हुए निर्माण के खिलाफ चलाई गई कार्रवाई से नागरिकों में जहां प्रसन्नता है, वहीं अतिक्रमियों में खौफ भी है।
सब महापौर से जुगाड़ बिठाने की कडिय़ां तलाश रहे हैं तो मेयर साब के खिलाफ पार्टी के अतिक्रमियों ने बगावत भी शुरू कर दी है। स्पष्ट है कि अधिकतर अवैध निर्माण और अतिक्रमण पार्टी के लोगों द्वारा ही किए गए हैं। आज सुबह तैयबियाह स्कूल की जमीन पर हाल ही में बने काम्पलैक्स की चौथी मंजिल पर निगम ने कार्रवाई शुरू की। निगम के अनुसार यह चौथी मंजिल अवैध है जबकि क्रमददगारञ्ज ने दस्तावेजी सुबूतों के साथ बहुत पहले ही यह तथ्य सार्वजनिक कर दिया था। साथ ही यह भी बताया था कि सिर्फ चौथी मंजिल ही नहीं बल्कि पूरा काम्पलैक्स अवैध है। यही नहीं, निगम द्वारा जारी की गई स्वीकृति भी अवैध है। यह निर्माण स्वीकृति जारी करने में काफी घालमेल की गई, जिसके छींटे पूर्व महापौर रजनी डांगी के दामन पर भी लगे थे।
तैयबियाह स्कूल के एक हिस्से को प्रबंधन ने जूजर अली को बेच दिया था। यह बेचान सात करोड़ में हुआ। नियम-कायदे ताक में रखकर निगम ने इस पर निर्माण स्वीकृति जारी की थी। महाराणा मेवाड़ की तरफ से उक्त जमीन बोहरा समुदाय को केवल बालिका शिक्षा के लिए आबंटित की गई थी। यह कथन समुदाय को आवंटित पट्टे में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया है कि उक्त जमीन का बालिका शिक्षा के अलावा दूसरा कोई उपयोग नहीं होगा। जमीन को बेचा नहीं जा सकेगा और न ही रहन या बख्शीश दिया जा सकेगा। इसके बावजूद निगम द्वारा जारी निर्माण स्वीकृति प्रश्नचिह्न खड़े करती है। बाद में स्कूल प्रबंधन में कतिपय भ्रष्ट और स्वार्थी लोग शामिल हो गए, जिन्होंने निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए स्कूल की बेशकीमती जमीन का अवैध बेचान कर दिया।
क्रमददगारञ्ज ने पहले भी कई बार इन बहुमंजिला इमारतों की गड़बडिय़ों को उजागर किया था, लेकिन कड़ी कार्रवाई के बजाय कार्यवाहक राजस्व अधिकारी द्वारा नाममात्र की कार्रवाई करने और छत का एक कोना तोड़कर आ जाने की करतूतों से पूरा कार्यकाल ही ठंडे बस्ते में चला गया था। इससे अतिक्रमणकारियों के हौसले काफी बुलंद थे। दो दिन की कार्रवाई से ही निरंतर एक के बाद एक गड़बड़ी करने वाले इन अतिक्रमियों के होश ठिकाने आ गए हैं। कई बहुमंजिला इमारतों के बेसमेंट में पार्किंग के बजाय बिल्डरों ने दुकानें निकाल कर बेच दी और इमारतों के बाहर सड़क पर पार्किंग शुरू करवा दीहै। शहर के व्यस्ततम इलाकों में ऐसी 40 से अधिक व्यावसायिक और रिहायशी बहुमंजिला इमारतें हैं, जहां नियत स्थान के बजाय सड़क पर पार्किंग की जाती है और पार्किंग की जगह दुकानें बनाकर बेच दी गई है। सड़क पर पार्किंग करने से आए दिन यातायात अवरुद्ध होने की शिकायतें आती रहती हैं।
महावीर कॉम्प्लेक्स : देहलीगेट स्थित तैयबियाह स्कूल के पास बने महावीर कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट में पार्किंग के बजाय दुकानें और गोदाम बनाकर बेच दिए गए हैं। यहां की पार्किंग भी कॉम्प्लेक्स के बाहर सड़क पर होती है, जिससे पूरा रोड जाम रहता है। क्षेत्रवासियों ने कई बार इसकी शिकायत भी की है।
एमराल्ड टावर : हाथीपोल स्थित एमराल्ड टावर के बेसमेंट में तो सब तरफ दुकानें बनी हुई है। करीब 100 दुकानों और ऑफिस की पार्किंग अश्विनी बाज़ार में रोड पर होती है। बेसमेंट के बीच में कुछ जगह में दुपहिया वाहनों की पार्किंग जरूर होती है।
लोढ़ा कॉम्प्लेक्स : कलेक्ट्री के बिलकुल बगल में आधे से अधिक कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट में दुकानें बनी हुई हैं। पीछे का कुछ हिस्सा पार्किंग के लिए छोड़ दिया गया है, जो सिर्फ नाममात्र का है। उनके अधिकतर चार पहिया वाहन रोड पर ही पार्क होते हैं।
आनंद प्लाजा : आयड़ पुलिया के पास बना आनंद प्लाजा के विशाल कॉम्प्लेक्स के आगे का ब्लॉक पूरी तरह अवैध रूप से दुकानों से घिरा हुआ है पीछे के ब्लॉक में भी आधे में दुकानें हैं और आधे में पार्किंग बना रखी है। इसके बेसमेंट में एक दुपहिया वाहन कंपनी का बड़ा सा वर्कशॉप भी संचालित है।
रिहायशी कॉम्प्लेक्सों के भी यही हाल :
भूपालपुरा, मधुबन आदि में कई रिहायशी और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स ऐसे हैं, जिनके बेसमेंट में दुकानें, शोरूम, गोदाम आदि बने हुए हैं। सीपीएस स्कूल के पास भूपालपुरा तथा नई पुलिया के पास बने कॉम्प्लेक्सों के बेसमेंट में भी यही हाल है। मधुबन में बने कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स में निजी बैंक, हॉस्पिटल आदि संचालित हैं उनके बेसमेंट में भी दुकानें और ऑफिस बनाकर उनसे आय की जा रही है जबकि पार्किंग मुख्य रोड पर की जा रही है। इस क्षेत्र में तो पार्किंग की जबरदस्त तकलीफ है।
दुर्गा नर्सरी रोड : दुर्गा नर्सरी रोड पर बने कई भवनों और बड़े-बड़े इमारतों में निजी इन्स्टीट्यूट संचालित किये जा रहे हैं लेकिन बेसमेंट में कहीं रेस्टोरेंट, स्पा सैलून तो कहीं ऑफिस बना रखे हैं। वहां काम करने वाले और पढ़ाई के लिए आने वाले छात्रों के वाहन रोड पर पार्क किए जाते हैं जिससे आए दिन जाम का सामना करना पड़ता है।