उदयपुर। फील्ड क्लब, उदयपुर के विरुद्ध सिविल न्यायाधीश (उत्तर) में एडवोकेट रमेश नन्दवाना, शंभूसिंह राठौड़, हरीश पालीवाल एवं प्रवीण खण्डेलवाल की ओर सेे प्रस्तुत लोकहित वाद को खारिज कराने के लिए जिला एवं सत्र न्यायालय में प्रस्तुत की गई अपील को गुरूवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश पंकज भण्डारी ने कानून की व्याख्या के साथ एडमिशन की स्टेज पर निरस्त कर दिया है। जिला न्यायालय के इस आदेश से फील्ड क्लब को एक और बड़ा झटका लगा है।
उल्लेखनीय है कि अधीनस्थ सिविल न्यायालय ने फील्ड क्लब के विरूद्ध प्रस्तुत किये गये लोकहित वाद के अन्तर्गत पहले ही फील्ड क्लब के दो प्रार्थना पत्रों को निरस्त कर दिया था जिसके विरुद्ध फील्ड क्लब के सचिव सत्येन्द्र पाल सिंह छाबडा की ओर से उनके अधिवक्ता ने जिला एवं सत्र न्यायालय में आदेश 7 नियम 11 सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत अपील की थी और अधीनस्थ न्यायालय के आदेश को अपास्त कराने की गुहार लगाई थी। वादीगण के अधिवक्ता शाान्तिलाल पामेचा ने नोटिस मिलने से पूर्व ही सुमोटो अपनी उपस्थिति न्यायालय में दर्ज कराते हुए जिला न्यायालय के समक्ष इस अपील को एडमिशन से पूर्व ही निरस्त करने संबंधी अपने कानूनी बिन्दुओं पर बहस की।
जिला न्यायालय में फील्ड क्लब के अधिवक्ता महेन्द्र मेहता ने तर्क दिया कि अधीनस्थ न्यायालय ने लोकहित वाद स्वीकार करते हुये दर्ज करने का जो आदेश पारित किया है, वह विधि व तथ्यों के विरुद्ध तथा विपरीत है। उनका यह भी तर्क था कि वादीगण को वाद लाने का कोई विधिक अधिकार प्राप्त नहीं है तथा क्लब द्वारा कोई लोक कंटक व अवैधानिक गतिविधियाँ संचालित नहीं की जा रही है, लेकिन अधीनस्थ न्यायालय ने क्लब की ओर से प्रस्तुत तर्कों को नहीं मानते हुए उनकी ओर से प्रस्तुत दोनों प्रार्थना पत्रों को निरस्त करने में भारी भूल की है। इस पर अधिवक्ता पामेचा ने कानूनी बिन्दुओं पर बहस की और फील्ड क्लब की अपील को स्वीकार करने योग्य नहीं बताया तथा इस अपील को इसी स्टेज पर निरस्त करने योग्य ठहराया।
जिला न्यायाधीश पंकज भण्डारी ने वादीगण के अधिवक्ता के तर्को को स्वीकार करते हुये फील्ड क्लब की अपील को एडमिशन के स्टेज पर ही निरस्त करने के आदेश दिये। बहस के दौरान जिला न्यायालय में भारी संख्या में अधिवक्तागण मौजूद थे।
फील्ड क्लब को लगा एक और झटका, अपील खारिज
Date: