उदयपुर, वर्षा जल संरक्षण एवं नशा निवारण में लगे चिकित्सक डॉ. पी.सी.जैन ने सी.डी. व लेपटॉप के माध्यम से डबोक स्थित विद्यापीठ बी.एड. कॉलेज में अध्यापकों की पर्यावरण कार्यशाला में वर्षा जल संरक्षण की जानकारी दी । उन्होंने कहा कि सरकार को ब$डी-ब$डी पेयजल योजनाओं के साथ घरों में वर्षा जल को संग्रहित करने एवं भू-जल पुनर्भरण को भी ब$ढावा देना चाहिए। अब केवल ३० फीसदी जल ही शेष है, इनकी पूर्ति वर्षा जल संरक्षण से ही सम्भव है।
उन्होंने बताया कि झीलों के भरे रहने से बहुत ज्यादा आश्वस्त नहीं रह सकते, क्योंकि वे कभी भी खाली हो सकती है। हर वर्ष हम करो$डों लीटर शुद्घ वर्षा जल जो हमारी छतों से गिरता है, उसे हम यों ही नालियों में बहा देते है, जिसकी कीमत अरबों रुपये आंकी जाती है, इसे बचाना होगा। उन्होंने आग्रह किया कि जल संरक्षण की शिक्षा पहली कक्षा से ही देनी चाहिए।
इस मौके पर सभी को ’’टेंकर आ गया है’’ नामक लघु नाटिका दिखाई गई एवं ’’पानी का संकट आने वाला है’’ गीत का नाट्य रूप में प्रदर्शन किया गया। अंत में श्रीमती सरिता मेनारिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
वर्षा जल संरक्षण आज की महत्ती आवश्यकता
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