शोध आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला
डबोक ’’ शोध उच्च स्तरीय उद्देश्यपरक बौद्धिक प्रक्रिया है । शोध योजना जितनी सशक्त होगी उतना ही शोध प्रभावी एवं सार्थक होगा। व्यक्तिगत मार्गदर्शन के बजाय शोध की सांख्यिकी मानक पुस्तकों पर आश्रित होनी चाहिए।’’ यह विचार मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में केन्द्र प्रवर्तित सी.टी.ई. योजनान्तर्गत लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय शोध विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन प्रथम तकनीकी सत्र मंे प्रो. आशुतोष बिसवाल (प्रोफेसर केस, बडोदा) ने सांख्यिकीय तकनीकी विषयक सत्र में व्यक्त किये। शोध के एक अन्य तकनीकी सत्र में विशेषज्ञ प्रो. ए.बी.फाटक ने शोध प्रतिवेदन लेखन के तरीके की बारीकियों से संभागियों से विमर्श किया।
इससे पूर्व सोमवार को आयोजित दूसरे तकनीकी सत्र में प्रो. एन.एस. राव निदेशक प्रबंधन विभाग, राजस्थान विद्यापीठ ने न्यादर्श संप्रत्यय, प्रकार ,एवं न्यादर्श चयन की विधि प्रविधि पर प्रकाश डालते हुए संभागियों का मार्गदर्शन किया। तृतीय सत्र में प्रो. डी.एन.दानी , सेवानिवृत्त प्रोफेसर ने शैक्षिक शोध से संबंधित उपकरण निर्माण एवं निर्धारण से संबंधित सूक्षमताओं से शोधार्थियों एवं मार्गदर्शकों को अवगत कराया। साथ ही प्रविधियों के उचित प्रयोग संबंधी बिंदुओं को गहनता पूर्वक स्पष्ट किया।
कार्यशाला समन्वयक डॉ. सरोज गर्ग ने जानकारी देते हुए कहा कि शैक्षिक शोध आधारित इस राष्ट्रीय कार्यशाला के कुल 7 तकनीकी सत्रों में सी.टी.ई., आई.ए.एस.ई. ,डाइट तथा शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालयों के 150 संभागी भाग ले रहें हैं। शोध विषयक इस कार्याशाला का समापन मंगलवार सायं को होगा। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शशि चित्तोडा ने कहा कि समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. ए.बी.फाटक होंगे एवं अध्यक्षता प्रो. सी.पी.अग्रवाल, जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार करेंगे।
ये कर रहें हैं शिरकत:- 1. प्रो. डी.एन. दानी 2. प्रो. एन.एन.जी.माथुर 3.डॉ. प्रभा वाजपेयी 4. डॉ. एन.एस. राव 5. डॉ. प्रेमलता पाहुजा 6. डॉ. अमृता दाधीच 7. डॉ. द्वारका प्रसाद नागदा 8. डॉ. हनुमान सहाय शर्मा
शोध आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला संपन्न
डबोक , मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार एवं जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में केन्द्र प्रवर्तित सी.टी.ई. योजनान्तर्गत लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में आयोजित दो दिवसीय शोध विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन बुधवार को हुआ। कार्यक्रम के प्रारंभ में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शशि चित्तोडा आगंतुको का स्वागत किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. सी.पी.अग्रवाल ने शोधार्थियों से शोध को औपचारिकता के बंधनों से मुक्त कर यथार्थ के धरातल पर गति प्रदान करने का आवाहन किया। साथ ही मार्गदर्शकों को शोध के संबंध में विवेकी, प्रतिबद्ध एवं इमानदारी की नसीहत दी। प्रो. अग्रवाल ने शोध को राष्ट्र निर्माण का आधार घोषित करते हुए कहा कि शोध समस्या चयन से लेकर संपादन तक समझोेेतावादी होना राष्ट्र एवं वैश्विक मानवता के लिए घातक है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद् प्रो. ए.बी.फाटक ने शोध में समस्या चयन बिन्दु को अधिरेखांकित करते हुए कहा कि शोधार्थी एवं मार्गदर्शक को सतत मानसिक अनुसंधान करते रहना चाहिए एवं समस्या के प्रति गंभीर हो परिवर्तन की ललक से परिकर होने के साथ ही सतत अध्येता भी होना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केस, बडोदा के प्रो. आशुतोष बिसवाल ने कहा कि उद्देश्यविहिन शोध निरर्थक होता है क्योंकि शोध एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शून्य का सर्वाधिक महत्व होता है। शोध के दौरान समंक संग्रहण भी शोधार्थी के समर्पण , निष्कर्ष एवं व्यक्तित्व का निर्धारक होता है क्योंकि केवल उपाधि प्राप्ति ही नहीं वरन मानवता को विचारों को नवीन क्षितिज प्रदान करना ही शोधार्थी का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए।
इस दो दिवसीय कार्यशाला का प्रतिवेदन कार्यशाला समन्वयक डॉ. सरोज गर्ग ने प्रस्तुत करते हुए बताया कि इस कार्यशाला में राजस्थान समेत गुजरात, महाराष्ट्र ,दिल्ली एवं देश के अन्य भागों से 150 शोधार्थियों एवं मार्गदर्शकों ने भाग लिया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. आशुतोष बिस्वाल, विशिष्ट अतिथि प्रो. ए.बी.फाटक एवं अध्यक्ष प्रो. सी.पी.अग्रवाल थे। अधिष्ठाता पंचायतन यूनिट डबोक भी इस अवसर पर उपस्थित थे। समापन सत्र का संचालन डॉ. देवेन्द्रा आमेटा तथा आभार प्रदर्शन की रस्म सी.टी.ई. प्रभारी डॉ. कैलाश चौधरी ने की अदा की।
इससे पूर्व आयोजित तकनीकी सत्रों में प्रो. आशुतोष बिस्वाल ने शोधार्थियों से शोध योजना को सशक्त बना अपने शोध को प्रभावी एवं सार्थक बनाने के लिए एवं व्यक्तिगत मार्गदर्शन के बजाय शोध को सांख्यिकी मानक पुस्तकों पर आश्रित रखने के लिए प्रेरित किया। साथ ही शोध के दौरान सांख्यिकी तकनीकी विषय पर संवाद स्थापित किया। इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में प्रो.डी.एन. दानी, प्रो. डी.एन. दानी, प्रो. एन.एन.जी.माथुर ,डॉ. प्रभा वाजपेयी,डॉ. एन.एस. राव ,डॉ. प्रेमलता पाहुजा ,डॉ. अमृता दाधीच , डॉ. द्वारका प्रसाद नागदा, हनुमान सहाय शर्मा ,डॉ.त्रिलोकी मोहन पुरोहित, डॉ.ए.के.तिवारी,डॉ. जेहरा बानो आदि ने सहभागिता की।