उदयपुर. विधायक (उदयपुर ग्रामीण) फूलसिंह मीणा के गृहक्षेत्र के वांशिदों के नए आधार कार्ड पुरोहितों की मादड़ी क्षेत्र में बगीचे में कचरे के ढेर में पड़े मिले। सैंकड़ों कार्ड कचरे में कैसे पहुंचे, इसे लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
वार्ड 31 के पुरोहितों की मादड़ी क्षेत्र के लोगों नेे बताया कि अहम सरकारी दस्तावेज माने जाने वाले आधार कार्ड बनाने के लिए पूर्व में शिविर लगाए गए थे।
इन शिविरों में कार्ड बनाने सम्बन्धी औपचारिकताएं पूरी की गई थीं। इसके बाद कुछ लोगों के कार्ड तो बनकर आ गए लेकिन अनेक लोगों को अब तक कार्डो का इन्तजार है। वंचित लोगों ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों से सम्पर्क किया लेकिन आधार कार्ड नहीं मिले। टेका-बा के देवरे में पानी की नई टंकी के पास रविवार सुबह करीब 150 कार्ड कचरे के ढेर में पड़े मिले। बाग में खेलते बच्चों ने देखा तो कई कार्ड खेल-खेल में फाड़ डाले।
बाद में क्षेत्रवासी प्रभुलाल खटीक, मोहित वारी, हरीश मेघवाल आदि ने बच्चों को हटाया और बचे हुए कार्ड संभालकर राजस्थान पत्रिका कार्यालय पहुंचाए।
पत्रिका व्यू
आ मजन ने घण्टों तक लम्बी कतारों में लगकर आधार कार्ड बनवाए। बुजुर्गो, महिलाओं और बच्चों तक को कई-कई दिन चक्कर काटने पड़े।
दिनभर कतार में लगने के बावजूद अपनी बारी नहीं
आने पर दूसरे दिन फिर शिविर स्थल पर पहंुचकर कतारों में लगना पड़ता। इसके बावजूद अनेक लोगों को अब तक आधार कार्ड नहीं मिले। अब उनके कार्ड कचरे में पड़े मिले तो उन पर क्या बीती होगी? आखिर ऎसी लापरवाही क्यों?
यदि यह कारनामा डाकियों का है तो क्या उन्हें लोगों की परेशानी की जरा भी चिन्ता नहीं हुई? क्या कार्डो की वितरण व्यवस्था पर प्रशासनिक और डाक विभाग के उच्चाधिकारियों का जरा भी नियन्त्रण नहीं है? कार्ड जारी हो जाएं, सैकड़ों कार्ड लम्बे समय तक गायब रहें, न वापस लौटें और न सम्बन्घित व्यक्ति तक पहंुचें,
फिर किसी कचरे के ढेर में 150 कार्ड पड़े मिलें तो क्या समूची व्यवस्था पर ही सवालिया निशान खड़ा नहीं होता? लापरवाही की गम्भीरता और आधार कार्ड जैसे अहम दस्तावेज के मद्देनजर प्रशासन और डाक विभाग को चाहिए कि मामले की पूरी जांच कराए।
दोष्ाी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाए और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। ताकि, आइन्दा ऎसी लापरवाही का दोहराव न हो।