राजस्थान में 18 साल पहले हुए बहुचर्चित समलेटी बमकांड में सोमवार को फैसला आ गया। दौसा के बांदीकुई की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश उर्मिला वर्मा ने उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद निवासी अब्दुल हमीद को फांसी की सजा सुनाई। अन्य छह अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
कोर्ट ने सबको हत्या, साथ बैठकर गुप्त मंत्रणा करने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और विस्फोटक अधिनियम मामले में दोषी करार दिया। सातों पर एक-एक लाख रूपए जुर्माना भी लगाया गया है। वहीं, अनंतनाग जिले के फारूख अहमद खान उर्फ मामा उर्फ बाबा को बरी कर दिया गया। मामले में 99 लोगों के बयान दर्ज हुए। पुलिस ने अभियुक्तों को जम्मू कश्मीर के एक अतिवादी संगठन से जुड़ा बताया है।
फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर से आए आरोपितों के चार समर्थकों को हिरासत में लिया गया। इस पर पुलिस की बख्तरबंद गाड़ी में बैठे अभियुक्तों ने हंगामा कर दिया। हालांकि पुलिस ने स्थिति संभाल ली। इस दौरान बसवा रोड स्थित न्यायालय परिसर के अंदर और बाहर पुलिस और आरएसी के जवान तैनात रहे। पुलिस को कोर्ट के पास जमा हुए सैकड़ों लोगों को तितर-बितर करना पड़ा।
इन छह को उम्रकैद
श्रीनगर निवासी जावेद खान उर्फ जावेद जूनियर, लतीफ अहमद वाजा उर्फ निसार, जम्मू निवासी असादुल्लाह उर्फ अब्दुल गनी, आगरा निवासी मोहम्मद अली भट्ट उर्फ महमूद किले, मिर्जा निसार हुसैन और रहीश बेग।
क्या है मामला
22 मई 1996 को आगरा से बीकानेर जा रही राजस्थान रोडवेज की बस में हाइवे पर महुवा में समलेटी गांव के पास बम फटने से 14 लोगों की मौत हो गई थी और 37 घायल हो गए थे। परिचालक अशोक शर्मा ने मामला दर्ज कराया था। सीआईडी सीबी ने बमकांड की जांच कर अभियुक्तों के खिलाफ चालान पेश किया था।
शक पर बरी फारूख
फारूख अहमद खान उर्फ मामा उर्फ बाबा के अहमदाबाद और आगरा में बैठकों में शामिल होने के सबूत नहीं मिले। शक का लाभ देते बरी किया।
अब क्या
सूत्रों के अनुसार अब अभियुक्त फैसले के खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
ऎसे चला मामला
– वर्ष 1996 में सीआईडी सीबी के एएसपी एमएम अत्रे ने जांच शुरू की।
– सलीम को गिरफ्तार किया, पूछताछ के बाद धारा 169 के तहत रिहा कर दिया गया।
– इसके बाद अब्दुल हमीद की पहचान हुई। पप्पू उर्फ सलीम सुल्तानी सरकारी गवाह बना।
– हमीद से पूछताछ के बाद अन्य सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी हुई।