साहित्य जगत के डकैत मनोहरसिंह राणावत की करतूतों के कारण उसका उलटा फोटो प्रकाशित किया जा रहा है।
महान कवि चंद बरदाई कृत ‘पृथ्वीराज रासौ’ के दूसरे संस्करण का वितरण रोक दिया गया है। यह जानकारी राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड विश्वविद्यालय में साहित्य संस्थान के निदेशक डॉ. ललित पांडेय ने ‘मददगार’ को दी। उन्होंने बताया कि राजस्थानी ग्रंथागार जोधपुर को इस बाबत आदेश भिजवा दिया गया हैं। उन्होंने कविराव मोहनसिंह तथा उनके परिवार से क्षमा याचना भी की।
ज्ञातव्य है कि पुनर्प्रकाशित ‘पृथ्वीराज रासौ’ में साहित्य संस्थान के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. मनोहरसिंह राणावत ने खुद को प्रधान संपादक और मेवाड़ के अंतिम राजकवि एवं महान संपादक कविराव मोहनसिंह को अपने अधीन संपादक मुद्रित करवा दिया, जो न केवल नैतिक अपितु कानूनी अपराध भी है। विद्यापीठ के वाइस चांसलर डॉ. एसएस सारंगदेवोत ने भी गलती स्वीकार करते हुए खेद व्यक्त किया हैं, जबकि चांसलर भवानीशंकर गर्ग ने गलती को ठीक करने के आदेश दिए है।
पता चला है कि मनोहरसिंह राणावत इस प्रकार की साहित्यिक चोरी का आदतन अपराधी है। वह इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक सफेदपोश डकैत माना जाता हैं।
राजस्थान विद्यापीठ में २८ अक्टूबर को एक समारोह में ‘पृथ्वीराज रासौ’ ग्रंथ का विमोचन किया गया था। इस अवसर पर चांसलर भवानीशंकर गर्ग, वाइस चांसलर एसएस सारंगदेवोत, रजिस्ट्रार प्रकाश शर्मा, विशेषाधिकारी लक्ष्मीनारायण नन्दवाना साहित्य संस्थान के निदेशक ललित पांडेय आदि ने विचार भी व्यक्त किए थे। बाद में ‘मददगार’ ने उन्हे इस कारस्तानी की ओर ध्यान दिलाया तो सब सकते में रह गए।