उदयपुर। झीलों की नगरी के बाशिंदों के लिए यह साल खुशियां लेकर आने वाला है। वर्ष 2041 तक शहर की प्यास बुझाने के लिए तैयार की जा रही देवास परियोजना-तृतीय व चतुर्थ चरण की दूरी और भी कम हो गई है। तकनीकी कमेटी के डिजाइनिंग व ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी देने के साथ ही महत्वाकांक्षी परियोजना महज दो कदम दूर रह गई है। अब फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट के बाद फाइनल रिपोर्ट शेष रहेगी।
डिजानिंग एवं ड्राइंग रिपोर्ट तकनीकी कमेटी की एप्रुवल के बाद फाइनल ( एस्टीमेट कोस्ट) रिपोर्ट तैयार होगी जो सीधे सरकार को जाएगी। इसमें निर्माण लागत के अलावा डूब क्षेत्र की मुआवजा राशि का आकलन भी शामिल होगा। विभाग की ओर से दोनों ही बांधों के कैचमेंट में आने वाली राजस्व, निजी खातेदारी तथा वन भूमि का आकलन का कार्य करीब-करीब हो चुका है। प्रारंभिक तौर पर देवास तृतीय में 79.06 एवं चतुर्थ में 92.11 वर्ग किमी भूमि आ रही है। इसमें सबसे बड़ी समस्या वन भूमि को लेकर आ सकती है। इसके मद्देनजर वन भूमि अवाप्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी
गई है।
एक दूसरे के पूरक होंगे बांध
देवास तृतीय व चतुर्थ कई मायनों मेें एक दूसरे के पूरक साबित होंगे। तृतीय में छातियाखेड़ी बांध (नाथिया थल) में 500 एमसीएफटी क्षमता का बांध निर्मित होगा। इसे देवास द्वितीय के आकोदड़ा बांध को 11.5 किलोमीटर लम्बी सुरंग के जरिए जोड़ा जाएगा। चतुर्थ मे 500 एमसीएफटी क्षमता का गोगुंदा के अम्बाव, झांक, पड़ावली इलाके में बांध का निर्माण होगा। इसे तृतीय परियोजना में बनने वाले बांध से 4.32 किमी लम्बी सुरंग से जोड़ना प्रस्तावित है। दोनों ही परियोजनाओं का अनुमानित खर्च एक हजार करोड़ रूपए आंका गया है।
अब आगे क्या?
फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट कमेटी के पास जाएगी। वहां से स्वीकृति के बाद सीधे फाइनल रिपोर्ट बनेगी। यह रिपोर्ट स्वीकृति के लिए सरकार को भेजी जाएगी। सरकार आवश्यक होने पर आंशिक बदलाव के बाद इस पर अपनी मुहर लगाते हुए बजट आदि का प्रावधान करेगी।
फाइनल ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार हो रही है। साथ ही डूब क्षेत्र भूमि की मुआवजा राशि का आकलन भी चल रहा है। कुल मिलाकर देवास अब हमसे महज कुछ दूर है।
अशोक बाबेल, कार्यवाहक अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग उदयपुर