उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के शोध का प्राइवेट यूनिवर्सिटीज की ओर पलायन हो रहा है। विश्वविद्यालय में पीजी डीन का पद 7 मार्च को खाली हो गया था लेकिन विश्वविद्यालय 4 माह तक नियुक्ति नहीं कर पाया। इस वजह से हर वर्ष मई-जून में होने वाली प्रवेश परीक्षा डेढ साल बीत जाने के बाद सितम्बर तक भी नहीं हो पाई है।
पद महत्वपूर्ण
देश भर से विभिन्न विषयों से आने वाले शोध निर्देशकों के चलते यह पद महत्वपूर्ण होता है । ऎसे में इस पद को हासिल करने की दौड़ में कई शिक्षक रहते हैं। वे नियुक्ति के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। इसी के चलते विवि नियुक्ति नहीं कर पाया और लगभग 4 माह तक यह पद रजिस्ट्रार के पास चलता रहा। बाद में 10 जुलाई को पीजी डीन पर डा. सीमा मलिक की नियुक्ति की गई लेकिन तब तक और पीजीआरबी व पहले से रजिस्टर्ड शोधार्थियों को इतना काम बढ गया कि अब तक भी निबटने में नहीं आ रहा है। स्नातकोत्तर अधिष्ठाता विभाग की ओर से प्रतिदिन पीजीआरबी करवाई जा रही हैं। प्रशासनिक भवन में शोधार्थियों की भीड़ लगी रहती है।
मई 2013 के बाद की सीटें खाली
विश्वविद्यालय में मई 2013 तक की खाली सीटों की प्रवेश प्रक्रिया करवाकर जुलाई तक प्रवेश शुरू कर दिए थे। ऎसे में अब तक के डेढ साल के अंतराल में विश्वविद्यालय के कई गाइड्स के पास सीटें खाली हैं लेकिन प्रवेश परीक्षा नहीं होने से शोधार्थियों को मजबूरी में निजी विश्वविद्यालयों में जाना पड़ रहा है। दूसरी ओर गरीब और आदिवासी विद्यार्थी विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की बाट जोह रहे हैं।
स्पोट्र्स में नहीं हो ऎसे हाल
इधर विश्वविद्यालय स्पोट्üस बोर्ड के चैयरमैन प्रो. दरियाव सिंह चुण्डावत का कार्यकाल भी 10 सितम्बर को पूरा हो रहा है। यहां भी समय रहते नियुक्ति नहीं की गई तो आने वाले खेल कैलेडर में परेशानी आ सकती है। स्पोट्र्स बोर्ड में अन्तर महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं का दौर शुरू हो चुका है व जल्द ही अंतर विवि खेल प्रतियोगिताओं के लिए भी टीमों का चयन होना है।
इनका कहना है
यह सही है कि काम प्रभावित हुआ है और बैकलॉग पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। संभवतया नवम्बर तक प्रवेश प्रक्रिया शुरू की जाएगी। प्रो. आई वी त्रिवेदी, कुलपति, सुविवि