उदयपुर। मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के तत्वावधान में रवींद्रनाथ टैगोर की अमर कृति गीतांजलि के सौ वर्ष पूरे होने पर शुक्रवार को एक व्याख्यानमाला का आयोजन सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय के सभागार में किया गया। मुख्य वक्ता कोलकाता के प्रो. अमिया देव ने इस अवसर पर कहा कि टैगोर सेंस और रिदम के कवि थे, जिन्होंने भावनाओं ओर कल्पना का अद्भुत सामंजस्य अपनी रचनाओं में किया। देव ने कहा कि टैगार केवल रोमांटिक कवि ही नहीं थे, बल्कि सेन्स, सोरो और इमोश्नल के समन्वय से रचनाओं को कालजयी बना दिया। उनकी रचनाएं दिल की गहराइयों का स्पर्श कर जाती है। टैगोर के संगीत में दिए योगदान के बारे में चर्चा करते हुए देव ने कहा कि उन्होंने करीब 200 गीत लिखे और संगीतबद्ध किए, जिसे रवींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। एक बार टैगोर ने स्वयं यह कहा था कि एक कवि संगीतकार भी हो सकता है और चित्रकार भी, मेरे संगीत को भविष्य में नजीर के तौर देखा जाएगा, क्योंकि बंगाली लोग कला के सूक्ष्म पारखी होते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार गीतांजलि पढऩे से वही अनुभूति होती है, जो एक सरोवर में पवित्र स्नान करने से होती है। प्रो. देव ने टैगोर के अन्य रूपों को भी सामने रखते हुए बताया कि उन्होंने कोस्मोलॉजी साइंस पर एक पुस्तक विश्व परिचय शीर्षक से लिखी थी। कुल मिलाकर टैगोर जीवन के लेखक थे। समारोह में गांधीनगर के प्रो. ईवी रामकृष्णा ने टैगोर के मानविकी में योगदान को शिक्षा के साथ जोड़ते हुए विस्तार से अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि टैगोर की सोच शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और प्रभावी बनाने की रही थी, इसीलिए उन्होंने शान्ति निकेतन की स्थापना की थी। स्वराज की कल्पना भी उन्होंने अपनी इसी सर्जनात्मक सोच के साथ आगे बढ़ाई थी। पश्चिमी विचारधारा के प्रति टैगोर की सोच आज भी सामयिक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आईवी त्रिवेदी ने कहा कि टैगोर एक महान रचनाकार थे, उन पर अलग से अध्ययन की भी जरूरत है। प्रो. त्रिवेदी ने बताया कि सुविवि में टैगोर चेयर की स्थापना के लिए यूजीसी को भी एक प्रस्ताव भेजा गया है। उन्होंने टैगोर की रचनाओं के क्रेडिट कोर्स शुरू करने का सुझाव दिया। कार्यक्रम के शुरू में अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. शरद श्रीवास्तव ने इस कार्यक्रम की संकल्पना को विस्तार से बताया तथा टैगोर की रचनाओं के मानवीय पक्ष पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर विभाग की शोध पत्रिका का भी विमोचन किया गया।