इबोला से डरने का नहीं

Date:

Ebola-virus-picture-2॥ इस बीमारी का डर दिखाकर इंटरनेशनल ड्रग कंपनियां उतारने वाली है महंगी दवाइयां
॥ हमारे आयुर्वेद में इस बीमारी का है कारगर इलाज, घर-घर में है इबोला का उपचार
उदयपुर। शहरों से लेकर गांवों तक इबोला की चर्चा है। दहशत का एक माहौल तैयार किया जा रहा है, ताकि इस बीमारी का डर दिखाकर इंटनेशनल ड्रग कंपनियां महंगी दवाइयां भारतीय बाजारों में उतारकर भारी धन कमा सके। घर-घर में टीवी से चिपके लोग अफ्रीकी देशों में कहर बरपा रहे इबोला पर ही नजरें गड़ाए हुए हैं। इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अलर्ट जारी किया गया है, तब से भारतीयों की धड़कनें और तेज हो गई है, लेकिन डरने की जरूरत नहीं है। इस बीमारी का हमारी प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में कारगर इलाज मौजूद है। जिस इबोला के आगे मॉडर्न मेडिसिन नतमस्तक है, उसे पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन का पूरा अमला बेबस है। उस डिजीज का आयुर्वेद कारगर ट्रीटमेंट करने में सक्षम है। इस चिकित्सा पद्धति के जानकारों का कहना है कि यदि सही समय पर इसका इलाज शुरू किया जाए तो मात्र कुछ दिनों में ही रोगी को ठीक किया जा सकता है। अगर किसी कारणवश इसने भयानक रूप भी ले लिया तो भी आयुर्वेद के माध्यम से इस डिजीज पर काबू पाया जा सकता है। कुल मिलाकर यह लाइलाज नहीं है।
हर घर में है इलाज : आयुर्वेद के मर्मज्ञों का कहना है कि हमारे यहां घर-घर में उपयोग में आने वाली तुलसी इस संक्रमण फैलाने वाले रोग से लडऩे के लिए सक्षम है। बस इसके लिए सही मात्रा का होना जरूरी है। यदि नियमित रूप से तुलसी और काली मिर्च का सेवन किया जाए तो इबोला से बचा जा सकता है। जानकारों का कहना है कि तुलसी, गुरुच और पारिजात का काढ़ा तो इसके लिए रामबाण है, क्योंकि इबोला की शुरुआत बुखार और जुकाम से होती है, जिसे रोकने के लिए हमारे यहां सदियों से तुलसी का काढ़ा दवा के रूप में पीने का प्रचलन है।
रामबाण इलाज : संक्रमण को रोकने के लिए तुलसी के अलावा भी कई दवाइयां है, जिनका आयुर्वेद चिकित्सक आवश्यकतानुसार उपयोग करते हैं। भट्टियानी चौहट्टा स्थित प्राकृतिक चिकित्सालय के वैद्य रतनलाल मिश्रा का कहना है कि इबोला नामक बीमारी में अन्य दवाइयों में ज्वरांतक बटी, भिलवां से बनी औषधि व सप्तपर्ण घन बटी का सेवन बेहतर रहेगा।
इसके साथ ही इबोला की चपेट में आने वाले को नाक पर गाय का घी या नारियल का तेल लगाना चाहिए, वहीं उबला पानी, हल्का भोजन और गाय के दूध का सेवन करना चाहिए। यदि दवा कड़वी लगे तो शहद के साथ सेवन करना उपयुक्त होगा।
डरने की जरूरत नहीं : आयुर्वेद चिकित्सकों का मानना है कि भले ही इबोला से पूरी दुनिया दहशत में हो लेकिन भारत में इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है। उनके अनुसार हमारे खान-पान से लेकर साफ-सफाई तक में संक्रमण न फैलने देने का पूरा इंतजाम है। तुलसी के पत्ते से दिन की शुरुआत होने सहित भोजन में पडऩे वाले मसाले के वनौषधियुक्त होने का फायदा मिलता है। यह इंसान को भीतर से मजबूत बना देता है। इससे संक्रमण का प्रभाव नहीं पड़ता है।

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Kasyno Granial Madryt w Internecie Bonos, Review i Rady

Na koniec należy oznaczyć, że gry są opracowywane z...

Top Salle de jeu quelque peu 2025 : Bouquin nos Plus grands Condition de jeu

Votre législation a vu au moment continûment en compagnie...

Психология азарта: почему мы любим казино автоматы

Психология азарта: почему мы любим казино автоматыАзартные игры, особенно...

Рабочее зеркало Мелбет нате сейчас вход, скачать

В данном материале речь идет что касается нелегальной в...