उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से बागोर की हवेली में आयोजित ’’बाल नाट्य कार्यशाला’’ में शहर की बाल प्रतिभाएँ नाट्य गतिविधि में न केवल बढचढ कर भाग ले रहे हैं बल्कि अपने प्रशिक्षकों के साथ बैठ कर नाट्यालेख के वाचन के साथ संवाद सम्प्रेषण व अन्य तकनीक की जानकारी हासिल कर रहे हैं।
केन्द्र निदेशक शैलेन्द्र दशोरा ने इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि ग्रीष्मावकाश का सदुपयोग करने तथा नाट्य प्रवृत्तियों के माध्यम से बालकों में कला को सराहने का गुण विकसित करने के उद्देश्य से आयोजित इस नाट्य कार्यशाला में राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पूर्व छात्र भार्गव ठक्कर तथा डॉली देसाई बालकों को अभिनय, संगीत, संवाद सम्प्रेषण, भाव सम्प्रेषण, आंगिक अभिनय इत्यादि का प्रशिक्षण दे रहे हैं। कार्यशाला में एक ओर डॉली देसाई बालकों को विभिन्न आंगिक क्रियाओं के माध्यम से अभिनय करने तथा संवाद के साथ चेहरे के हाव-भाव बदलने व तदनुरूप एक्शन करने का प्रशिक्षण दे रहे हैं। वहीं भार्गव ठक्कर नाट्यालेख ’’अमृत जल’’ पर विशेष रूप से बच्चों पर कार्य कर रहे हैं।
उन्होंंने बताया कि ठक्कर बालकों को चरित्रानुकूल स्क्रिप्ट पढने तथा भावानुसार स्वर संयोजन करने का ज्ञान दे रहे हैं। अपने प्रशिक्षक के निर्देशों पर बच्चे तत्परता से अमल करते हैं। भार्गव ठक्कर के अनुसार यह नाट्य कृति पर्यावरण तथा प्रकृति के संरक्षण पर आधारित है। उन्होंने बताया कि उदयपुर के बालकों में अद्भुत क्षमता है तथा इस स्क्रिप्ट के साथ एक अच्छा नाटक तैयार किया जा सकता है।
पर्यावरण पर आधारित नाट्यलेख पर कार्य
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