उदयपुर। भरी गर्मी में एसी कोच में यात्रा करने वालों को राहत मिलना तो दूर, उलटे पसीने छूट रहे हैं। पिछले दिनों में ट्रेनों के एसी कोच में ठंडक नहीं होने से यात्री परेशान हो गए। इसकी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। कायदे से ट्रेन जब प्लेटफॉर्म पर पहुंचे, तो उसके एसी ऑन होने चाहिए, लेकिन उदयपुर में ऐसा हो नहीं रहा। ग्वालियर एक्सप्रेस में कल भी यही हालत थी, जिससे उदयपुर से जयपुर जाने वाले कुछ यात्रिओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे पूर्व भी क्रमददगारञ्ज को बांद्रा से उदयपुर चलने वाली ट्रेन के ऐसी कोच के एसी बंद होने की शिकायत मिली थी। इधर, शिकायत पर क्षेत्रीय रेलवे अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हंै।
उदयपुर के मुकेश मनवानी, अपने परिवार के आठ सदस्यों के साथ मंगलवार को जयपुर थर्ड एसी में सफर कर रहे थे। उन्होंने क्रमददगारञ्ज को कॉल कर बताया की, जब वह कोच में गए, तो अंदर एसी चालू नहीं होने की वजह से घुटन हो रही थी। पसीने छूट रहे थे, जब उन्होंने इसकी शिकायत की, तब एसी ओन किया गया। मावली से भी आगे निकलने के बाद करीब एक घंटे बाद कुछ राहत मिली। यही शिकायत दो दिन पूर्व मुंबई से उदयपुर आ रहे अखिलेश सक्सेना ने की। रास्ते में एसी बंद हो गया, जो करीब तीन घंटे बाद चालू किया गया। इतने टाइम में सारे यात्रियों का हाल बुरा हो गया। जानकारी के अनुसार उदयपुर से चलने वाली अधिकतर ट्रेनों का यही हाल है। ट्रेन शुरू होने के एक घंटे बाद कुछ कुलिंग का अहसास हुआ।
नियम एक घंटे पहले चलने चाहिए एसी : रेलवे बोर्ड ने ट्रेन चलने से एक घंटे पहले एसी कोच को प्री-कूल्ड करने का प्रावधान तय किया हुआ है। इस मामले में यात्रियों की बढ़ती शिकायतों पर अक्टूबर,1985 व नवंबर,1998 में यह भी तय किया गया था कि जब यात्री कोच में चढ़े, तो उसे शीतलता का अहसास होना चाहिए। दूसरी ओर जब ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है, तब एसी ऑन किया जाता है। ऐसे में जब यात्री कोच में बैठते हैं तो उन्हें घुटन का अहसास होता है। ट्रेन चलने के एक घंटे तक कोच ठंडा नहीं होता। ट्रेन के कोचिंग डिपो में जाने के बाद उसका रखरखाव व साफ-सफाई की जाती है। वहीं पर बैट्री चार्जिंग के प्वाइंट भी लगे हैं। रेलवे बोर्ड के मैन्युअल में साफ लिखा है कि ट्रेन को प्लेटफॉर्म पर लाने से पहले उसे प्री-कूल्ड किया जाए। स्थिति यह है कि डिपो में बैट्री को सही ढंग से चार्ज नहीं किया जाता। यात्रियों के चढऩे के बाद सिर्फ ब्लोअर चलाया जाता है। ट्रेन 15 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर दौडऩे लगती है, तब एसी ऑन किया जाता है। एसी को बैट्री से चलाना चाहिए, लेकिन रेलवे कर्मचारी ट्रेन चलने के बाद उसे बैट्री से कनेक्ट करते हैं ताकि रास्ते में बैटरी खत्म होने की दिक्कत नहीं हो।
वर्जन…
ट्रेन में एसी नहीं चले, बंद हो या देर से चले इसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं है। यह इलेक्ट्रिक विभाग की जिम्मेदारी है। आप उनसे बात कीजिए कि क्यों एसी नहीं चलता है।
-हरफूल सिंह चौधरी, क्षेत्रीय रेलवे अधिकारी